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18 अप्रैल को ही क्‍यों मनाते हैं विश्‍व धरोहर दिवस, जाने कब हुई इसकी शुरूआत ?

April 18, 2022

नई दिल्ली । दुनियाभर में कई ऐसी विश्व विरासत(world heritage) या धरोहरें हैं जो वक्त के साथ जर्जर होती जा रही हैं। इन विरासतों के स्वर्णिम इतिहास (golden history) और इनके निर्माण को बचाए रखने के लिए विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। दरअसल, सालों पहले हुए निर्माण वक्त के साथ बूढ़े होने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि वह अपनी निर्मित स्थिति में बने रहें और उनकी जर्जर होती अवस्था को सुधारकर सालों साल उसी स्थिति में बरकरार रखा जाए। इसलिए विश्व धरोहर दिवस मनाकर इस उद्देश्य को बरकरार रखा जाता है। यह दिन हर उस देश के लिए खास है जो अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहरों, यूनिक निर्माण शैली, इमारतों और स्मारकों की खूबसूरती को बरकरार रखना चाहता है और आने वाली हर पीढ़ी को इनके महत्व (Importance) के बारे में बताना चाहता है। दुनिया में कई सारी विश्व धरोहरें हैं। यूनेस्को हर साल लगभग 25 धरोहर को विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल करता है, ताकि उन धरोहरों का संरक्षण किया जा सके। अगली स्लाइड्स में जानिए कि विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस कब मनाया जाता है। विश्व धरोहर दिवस मनाने की शुरुआत कब से हुई, इसके इतिहास और महत्व के बारे में जानें।



विश्व धरोहर दिवस कब है?
विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) को विश्व विरासत दिवस भी कहते हैं। हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। इसे शुरुआत में विश्व स्मारक दिवस के तौर पर मनाया जाता था। हालांकि यूनेस्को ने इस दिन को विश्व विरासत दिवस या धरोहर दिवस के रूप में बदल दिया।

विश्व धरोहर दिवस का इतिहास
1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन (international organization) ने दुनिया भर की प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की सुरक्षा का प्रस्ताव पहली बार प्रस्तुत किया था, जिसे स्टॉकहोम में आयोजित हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित कर दिया गया। उसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की स्थापना हुई। उस समय 18 अप्रैल 1978 में विश्व स्मारक दिवस के तौर पर इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। उस दौरान विश्व में कुल 12 स्थलों को ही विश्व स्मारक स्थलों की सूची में शामिल किया गया था। बाद में 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ ने सबसे पहले विश्व धरोहर दिवस मनाया। उसके एक साल बाद 1983 नवंबर माह में यूनेस्को ने स्मारक दिवस को ‘विश्व विरासत दिवस’ के तौर पर मनाने की घोषणा की।

विश्व धरोहर दिवस का महत्व(Importance of World Heritage Day)
बात करें विश्व धरोहर दिवस के महत्व की तो हर देश का अपने अतीत और उस अतीत से जुड़ी कई सारी गौरव गाथा है। इन गौरव गाथा की कहानी बयां करती हैं वहां स्थित तात्कालिक समय के स्मारक और धरोहरें। युद्ध, महापुरुष, हार-जीत, कला, संस्कृति आदि को इतिहास के पन्नों पर दर्ज करने के साथ ही उनके सबूत के तौर पर इन स्थलों को सदैव जीवित रहना जरूरी है।

विश्व विरासत दिवस मनाने का तरीका
दुनियाभर में बहुत सारे संगठन हैं, जो धरोहरों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं। विश्व विरासत दिवस को यह संगठन अपने अपने तरीके से मनाते हैं। हेरिटेज वाॅक और फोटो वाॅक आदि का इस दिन आयोजन होता है। लोग धरोहरों की यात्रा पर जाते हैं। उनके संरक्षण की शपथ लेते हैं। लोगों को उनके देश की धरोहरों को लेकर जागरूक किया जाता है।

भारत की विश्व धरोहर
भारत की पहली विश्व धरोहर महाराष्ट्र में स्थित एलोरा की गुफाएं हैं। वर्तमान में भारत में 40 विश्व धरोहरे हैं। यूनेस्को ने जिन 40 विश्व धरोहरों को घोषित किया है,उसमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। भारत का 39 वां और 40 वां क्रमश: कालेश्वर मंदिर तेलंगाना और हड़प्पा सभ्यता का शहर धोलावीरा है। महाराष्ट्र में पांच यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं।

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