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अफगानिस्तान से सिखों के सफाये पर कोई विरोधी स्वर क्यों नही

June 22, 2022

– संजय तिवारी

यह 16वीं सदी के इतिहास का कोई पृष्ठ नहीं है। अभी इसी बीते शनिवार को सब कुछ हुआ है, लेकिन विश्व के किसी कोने से कोई विरोधी स्वर सुनने को नहीं मिला। कनाडा और लंदन से किसी पगड़ीधारी का कोई वीडियो नहीं जारी हुआ। क्यों भाई? अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं। विश्व के सबसे भव्य काबुल के गुरुद्वारे , जिससे महाराजा रणजीत सिंह का नाम जुड़ा है, में शनिवार (18 जून, 2022) को कुछ आतंकी मय असलाह घुसते हैं और 50 सिखों को बंधक बना लेते हैं। फिर शुरू होता है बर्बर पिटाई और हत्या का दौर। गुरुद्वारे में आग लगा दी जाती है । सिख गिड़गिड़ाते हैं। हाथ जोड़ते हैं। रहम की भीख मांगते हैं । मगर दो सिखों की हत्या कर दी जाती है। शेष लोगों को चेतावनी दी जाती है कि एक पखवाड़े के भीतर सुन्नी-इस्लाम ग्रहण कर लें नहीं तो मौत के लिए तैयार रहें ।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह घटना इस प्रकार से बताई गई है- अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक गुरुद्वारे पर शनिवार तड़के भीषण आतंकी हमला हुआ। आतंकवादी बाहर से गोलियां चलाते हुए गुरुद्वारे के भीतर दाखिल हुए और सिखों के घरों को भी निशाना बनाया। हमलावरों ने सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी और ग्रेनेड के साथ अंदर घुसे। हमले के सूचना पास की चौकियों पर मौजूद तालिबान सदस्यों को मिली। वे मौके पर पहुंचे। इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। वहां मौजूद कुलजीत सिंह खालसा ने कहा- ‘मेरा घर गुरुद्वारे के ठीक सामने है। जैसे ही मैंने गोलीबारी की आवाज सुनी खिड़की से बाहर देखा, लोग कह रहे थे कि हमलावर भीतर हैं। अफरा-तफरी के बीच अचानक एक ब्लास्ट हुआ ।’ बम एक तालिबान चेकपोस्ट के बगल में खड़ी एक कार के अंदर छिपा हुआ था। धमाके में यूनिट कमांडर की मौत हो गई और आसपास की दुकानें और घर क्षतिग्रस्त हो गए। हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। यह हमला सुबह की प्रार्थना शुरू होने से करीब आधा घंटा पहले हुआ। खालसा ने कहा- ‘अगर हमला कुछ देर बाद होता तो अंदर और भी लोग मौजूद होते।’

एक वक्त पर अफगानिस्तान हजारों हिंदुओं और सिखों का घर हुआ करता था लेकिन दशकों के संघर्ष के बाद अब यहां सिर्फ गिनती के हिंदू और सिख बचे हैं। हाल के वर्षों में बचे हुए सिखों को लगातार आईएस की लोकल ब्रांच निशाना बना रही है। स्थानीय समयानुसार सुबह करीब छह बजे कार्ते परवान इलाके में पहले विस्फोट की आवाज सुनी गई। प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, विस्फोट के कारण आसमान में धुएं का गुबार फैल गया। सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं। अमाक के हवाले से इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकवादी संगठन ने गुरुद्वारे पर हमला करने वाले सुसाइड बॉम्बर की पहचान अबू मुहम्मद के रूप में की है। बीबीसी से हमले में घायल एक शख्स के रिश्तेदार ने कहा कि अफगानिस्तान में सिर्फ 20 सिख परिवार बचे हैं। बचे हुए परिवार भी जल्द से जल्द निकलना चाहते हैं।

यहां भारत में हिंदू, सिखों को अपनी पलकों पर सजा कर रखते हैं। और यही सहोदर पंजाब से लेकर लाल किले तक किसान आंदोलन के नाम पर क्या कुछ नहीं कर चुके है। भारतीय समाज के लोग दशकों से अपमान झेलते आए हैं। हजारों सनातनी पंजाब में आतंक की भेंट चढ़ गए, मगर हमने उफ तक न की। हत्या का आरोप तक नहीं लगाया। लाल किला कांड पर भी देश ने माफ कर दिया। याद कीजिये पिछले दिनों बदसलूकी का आरोप लगा कर मानसिक विक्षिप्तों तक के प्राण छीन लिए गए। एक सैनिक की इसलिए हत्या हुई कि उसने गुरुघर से बगैर अनुमति पानी पी लिया। याद कीजिये – योगराज सिंह ने सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा कि हिंदुओं की बेटियां टके-टके पर बिकती थीं। यह सब हमने बर्दाश्त किया।

सिख समुदाय को अब चिंतन करने की जरूरत है। उन्हें यह सोचना चाहिए कि आप छोटा भाई होने का हक रखते हैं। आप सनातन की सैन्य शक्ति हैं। सनातन ने आपको बड़ा भाई माना, मगर आज फिर पंजाब में भिंडरवाला , राजोआना और ‘खाड़कुओं’ के फोटो स्वर्ण मंदिर म्यूजियम में लगाये जाते हैं, कोई कुछ नहीं कहता। आप सीएए के विरोध में खड़े हो जाते हैं। कृषि कानून के विरोध के बहाने क्या-क्या हुआ, सबने देखा। मगर सनातन शांत और सहनशील बना रहा। काबुल में आज आप भीषण अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। तो सनातन ही आंसू बहा रहा है। सवाल है कि काबुल में आपके भाइयों पर अत्याचार की इंतेहा लिखी जा रही है तो आप खामोश क्यों हैं ? क्या मजबूरी है ? एक देश, जिसके निर्माण में सिख समुदाय का बहुत बड़ योगदान रहा है, जहां महाराजा रणजीत सिंह की विरासत है , वहां इस दुर्गति के विरुद्ध विश्व के किसी कोने से कोई आवाज नहीं आ रही। क्यो? अब तो वह गुरुद्वारा कुछ ही दिनों में किसी अन्य स्थल के रूप में स्थापित हो जाएगा।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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