नई दिल्ली (New Delhi) । तेल कंपनियां (oil companies) इस समय हर लीटर पेट्रोल पर 10 रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। बावजूद इसके ग्राहकों (customers) को इसका कोई फायदा नहीं हुआ है क्योंकि कंपनियों ने कीमतों को लंबे समय से स्थिर रखा है। दूसरी ओर, डीजल (diesel) पर इनको 6.5 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है।
सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) ने अप्रैल से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। इन्हें 24 जून, 2022 वाले हफ्ते में पेट्रोल पर 17.4 रुपये लीटर और डीजल पर 27.7 रुपये लीटर का घाटा हो रहा था।
हालांकि, अक्तूबर-दिसंबर (October-December) तिमाही में इन कंपनियों को पेट्रोल पर फायदा तो हुआ पर डीजल पर घाटा हो रहा है। अप्रैल-मई में जब कच्चे तेल की कीमतें 103 डॉलर तक पहुंच गई थीं, तब भी इन कंपनियों ने कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया। इससे उनको उस समय भारी घाटा हुआ था। जून में कच्चे तेल की कीमत 116 डॉलर से गिरकर अब 78-79 डॉलर पर आ गई हैं।
अप्रैल-सितंबर में 21 हजार करोड़ का घाटा
कच्चे तेल (Crude oil) की ऊंची कीमतों के कारण अप्रैल से सितंबर तिमाही में इन तीनों कंपनियों को 21,201 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि, इसी दौरान सरकार ने इनको 22 हजार करोड़ रुपये भी दिया था। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर तिमाही में आईओसी को 1,300 करोड़ रुपये और एचपीसीएल को 600 करोड़ का घाटा हो सकता है। बीपीसीएल मुनाफा दर्ज कर सकती है।
पहली बार इतने लंबे समय तक कीमत में कोई बदलाव नहीं
इन तीनों कंपनियों की बाजार में 90 फीसदी हिस्सेदारी है। पिछले 20 सालों में पहली बार इतने लंबे समय तक इन्होंने कीमतों को स्थिर रखा। इन्होंने नवंबर में रोजाना घोषित होने वाली कीमतों को रोक दिया था। उस समय देश में पेट्रोल की कीमतें 110 रुपये के पार पहुंच गईं थीं। हालांकि, पिछले साल मध्य मार्च में अचानक पेट्रोल और डीजल का भाव 10 रुपये लीटर बढ़ गया था। उससे पहले पेट्रोल की एक्साइज ड्यूटी में 13 रुपये और डीजल की ड्यूटी में 16 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी।
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