कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सियासी बवाल जारी है. इस बीच एक और बड़ी राजनीतिक घटना घटी है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कोलकाता पुलिस के ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को राजभवन परिसर तुरंत खाली करने का आदेश दिया है. यह आदेश उन आरोपों के मद्देनजर आया है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि राजभवन में तैनात पुलिसकर्मी राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को उनसे मिलने और अपनी शिकायतों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
एक अधिकारी के हवाले से बताया, “बोस राजभवन के उत्तरी गेट के पास पुलिस चौकी को ‘जन मंच’ में बदलने की योजना बना रहे हैं… राज्यपाल ने प्रभारी अधिकारी सहित राजभवन के अंदर तैनात पुलिस अधिकारियों को तुरंत परिसर खाली करने का निर्देश दिया है.” यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब कुछ दिन पहले ही पुलिस ने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों को बोस से मिलने के लिए राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया था, जबकि राज्यपाल ने उन्हें इस संबंध में लिखित अनुमति दी थी.
पुलिस ने गुरुवार को सीआरपीसी की धारा 144 का हवाला देते हुए अधिकारी को चुनाव बाद की हिंसा के कथित पीड़ितों के साथ राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके तहत राज्यपाल भवन के बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर रोक है. इसके बाद अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि लिखित अनुमति होने के बावजूद पुलिस ने राज्यपाल भवन में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी है.
शनिवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या बोस वास्तव में “घर में नज़रबंद” हैं और राज्यपाल के कार्यालय से अनुमति मिलने पर अधिकारी को पीड़ितों के साथ राजभवन जाने की अनुमति दी. रविवार को अधिकारी ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के 100 से अधिक ‘पीड़ितों’ को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से मिलने के लिए राजभवन पहुंचाया.
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