नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव (Congress General Secretary) जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि “जेपीसी में (In JPC) बहुमत सदस्य (Majority Members) बीजेपी के होंगे (Will be from BJP) तो केन्द्र सरकार (Central Government) संयुक्त संसदीय समिति के गठन से (Formation of the JPC) क्यों डर रही है (Why is Afraid) ।” उन्होंने केंद्र सरकार पर कांग्रेस को चुप कराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है ।
मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, रमेश ने कहा, “हर्षद मेहता मामले में जेपीसी का गठन किया गया था, फिर केतन पारेख मामले में और अब अडानी-हिंडनबर्ग मामले में हमारी मांग वैध है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एलआईसी का पैसा दांव पर है।” ‘अडानी का मामला बांग्लादेश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और इजराइल से संबंधित है।’ उन्होंने कहा कि ‘संसदीय’ शब्दों का निष्कासन अभूतपूर्व है, क्योंकि अतीत में भाजपा ने नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह को ‘मौनी बाबा’ कहा था। उन्होंने कहा, “जेपीसी में बहुमत सदस्य बीजेपी के होंगे तो वह संयुक्त संसदीय समिति के गठन से क्यों डर रही है।”
जयराम ने सोमवार को ट्वीट किया था, “आज सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार को अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच करने के लिए एक समिति से कोई आपत्ति नहीं है। फिर जेपीसी से इनकार क्यों किया गया, जिस पर वैसे भी बीजेपी और उसके सहयोगियों का वर्चस्व होगा? लेकिन क्या होगा? प्रस्तावित समिति हिंडनबर्ग या अडानी की जांच करेगी ?” लेकिन, मंगलवार को उन्होंने कहा कि याचिका का विषय कुछ अलग है, क्योंकि वह हिंडनबर्ग में जांच चाहती है। समान विचारधारा वाले विपक्षी दल पूरे मामले की जांच के लिए जेपीसी की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनका आरोप है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एलआईसी ने पैसे खो दिए हैं।
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि मौजूदा ढांचा, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य एजेंसियां शामिल हैं, अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उत्पन्न स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से बिल्कुल ठीक हैं और यह मौजूदा शासन को मजबूत करने के लिए एक समिति गठित करने के न्यायालय के सुझाव का विरोध नहीं करेगा।
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