वॉशिंगटन/बीजिंग। चीन और ताइवान का विवाद (China and Taiwan dispute) आज से नहीं बल्कि कई सालों से चला आ रहा है। चीन ताइवान पर अपना दावा जताता है जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश (Taiwan is an independent country) मानता है। इन्ही सब विवादों के बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ताइवान पहुंची।
बता दें कि इस समय अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी एशियाई देशों की यात्रा पर हैं और वे मंगलवार रात को विशेष सैन्य विमान सी-40सी जैसे-जैसे ताइवान की ओर बढ़ रहा था, चीन की सक्रियता भी बढ़ती रही।
चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है?
ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था।
हार के बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली। इस बीच दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया। विवाद इस बात पर शुरू हुआ कि जब कम्युनिस्टों ने जीत हासिल की है तो ताइवान पर उनका अधिकार है।जबकि कॉमिंगतांग की दलील थी कि वे चीन के कुछ ही हिस्सों में हारे हैं लेकिन वे ही आधिकारिक रूस से चीन का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए ताइवान पर उनका अधिकार है।
उल्लेखनीय है कि किसी उच्च अमेरिकी अधिकारी की ये पिछले 25 वर्षों में पहली ताइवान यात्रा है। इसके अलावा यह नैंसी पेलोसी का पहला ताइवान दौरा है। अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार को भारतीय समयानुसार 8.15 बजे ताइवान की राजधानी ताइपे में लैंड हुईं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच वायुसेना के विमान C-40C SPAR19 के जरिए ताइवान पहुंचाया गया। ताइवान में उनके पहुंचने से पहले चीन ने कई धमकियां दी थीं कि वह पेलोसी के विमान को लैंड नहीं होने देंगे।
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