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    क्यों ॐ को माना जाता है सृष्टि की ध्वनि? जानें इसको जपने के जरूरी नियम और लाभ

  • April 25, 2024

    डेस्क। हिंदू धर्म में मंत्र जप को कल्याणकारी बताया गया है। मंत्र जप से मानसिक शांति हमको प्राप्त होती है और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा से हम भर जाते हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले कई लोग आज भी दिन की शुरुआत मंत्रों के उच्चारण के साथ करते हैं। इन सभी मंत्रों में सबसे प्रचलित और आसन मंत्र है ‘ॐ’ इसे सृष्टि की ध्वनि भी कहा जाता है।

    माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में केवल ‘ॐ’ की ध्वनि हर ओर व्याप्त थी। आज भी ब्रह्माण्ड में ॐ का स्वर विद्यमान है और जब यह संसार नहीं होगा तब भी केवल यही ध्वनि रह जाएगी। छान्दोग्योपनिषद् में ॐ को लेकर लिखा गया है कि, ‘ॐ इत्येतत् अक्षरः’ यानि यह ऐसा शब्द है जो अविनाशी है, जिसका कभी नाश नहीं हो सकता। इसीलिए ॐ को सृष्टि की ध्वनि भी कहा जाता है और मूल बीज मंत्र भी। आइए अब जानते हैं कि ॐ मंत्र का जप करने के क्या नियम हैं और इसके जप से क्या-क्या लाभ आपको प्राप्त हो सकते हैं।


    ये हैं मूल बीज मंत्र ॐ को जपने के नियम

    1. अगर आप ॐ मंत्र का जप करके सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं तो हमेशा एकांत जगह पर आपको इसका उच्चारण करना चाहिए।
    2. जमीन पर आसन बिछाकर करना चाहिए इस मंत्र का जप।
    3. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ॐ का उच्चारण करने के लिए सबसे सही माना जाता है।
    4. ॐ का उच्चारण करते समय ध्यान को दोनों आंखों के बीच में यानि तीसरे नेत्र पर रखना चाहिए।
    5. इस मंत्र का जप करने के बाद आपको कुछ समय के लिए शांत रहना चाहिए। ध्यान को अपनी सांसों पर केंद्रित करना चाहिए।
    6. ॐ का जप करने के लिए एक नियत स्थान आपको रखना चाहिए और हर दिन वहीं मंत्र जप करना चाहिए।
    7. मंत्र जप के दौरान आपकी रीढ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।

    ॐ मंत्र का जप करने से मिलते हैं इतने लाभ

    1. अगर आप प्रतिदिन ॐ का उच्चारण करते हैं तो आपकी सेहत में जबरदस्त बदलाव देखने को मिलते हैं। सेहत अच्छी रहती है और आपके मुखमंडल पर तेज झलकता है।
    2. इस मंत्र का उच्चारण करने से तनाव दूर होता है। अगर आपका मन विचलित रहता है तो आपको ॐ का जप अवश्य करना चाहिए।
    3. निरंतर मूल बीज मंत्र ॐ के उच्चारण से हृदय गति भी सामान्य रहती है और हृदय से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं आपको नहीं होती।
    4. यह मंत्र आपको हमेशा ऊर्जावान बनाए रखता है। साथ ही पाचन से संबंधी कई परेशानियां भी दूर होती हैं।
    5. जो लोग अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें इस मंत्र का जप करने से गहरी नींद आती है।
    6. केवल ॐ का उच्चारण करना ही आपको सभी मंत्रों के फल प्रदान करने वाला भी माना जाता है, क्योंकि ये सभी मंत्रों का मूल बीज मंत्र है।
    7. गोपथ ब्राह्मण ग्रंथ में वर्णित है कि अगर आप कुश के आसन में पूर्व दिशा की ओर मुख करके, हजार बार ॐ मंत्र का जप करते हैं तो आपके कार्य सिद्ध होने लगते हैं।

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