नई दिल्ली। मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2022) के अवसर पर मंदिरों खासकर बाबा गोरक्षनाथ के मंदिर (Gorakhnath Mandir) में खिचड़ी (Khichadi) चढ़ाने की परंपरा है. इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन शनिवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति पर गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) में पूर्वांचल, बिहार के सीमावर्ती जिलों और नेपाल से लोग खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. खिचड़ी के कारण मकर संक्रांति को इस क्षेत्र में खिचड़ी भी कहा जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) गोरखनाथ मंदिर के ही महंत हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा आदियोगी बाबा गोरक्षनाथ से जुड़ी हुई है और इसका पौराणिक महत्व(mythological significance) भी है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
कौन थे बाबा गोरक्षनाथ, क्या है खिचड़ी चढ़ाने की कथा
बाबा गोरक्षनाथ को भगवान शिव (Lord Shiva) का अवतार माना जाता है. उनकी आदियोगी भी कहते हैं. स्थानीय लोग बाबा गोरक्षनाथ को बाबा गोरखनाथ कहते हैं, उनके नाम पर ही गोरखपुर शहर का नाम और गोरखनाथ मंदिर का नाम रखा गया है. बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की कथा मां ज्वाला देवी से जुड़ी हुई है.
एक समय की बात है. बाबा गोरक्षनाथ हिमाचल के प्रसिद्ध ज्वाला देवी मंदिर भिक्षाटन करते हुए पहुंच गए. वहां उन्होंने मां ज्वाला देवी को अपनी भक्ति और साधना से प्रसन्न कर दिया. मां ज्वाला देवी प्रकट हुईं और उनको दर्शन दिए, फिर गोरक्षनाथ जी को भोजन करने के लिए कहा. वे भोजन करने बैठे तो उनको कई प्रकार के व्यंजन परासे गए. उन्होंने भिक्षा में प्राप्त चावल और दाल ही ग्रहण करने का निवेदन किया.
उनके निवेदन पर ज्वाला देवी उनकी पसंद का भोजन तैयार करने के लिए पानी गरम करने लगीं. इस बीच बाबा गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए राप्ती नदी के किनारे आ गए. वहीं पर उन्होंने अपना अक्षय पात्र रखा और साधना में लीन हो गए. मकर संक्रांति के अवसर पर स्थानीय लोग जब वहां गए, तो बाबा को साधना में लीन पाया. लोग उनके पात्र में दाल चावल डालते, लेकिन वह भरता नहीं था.
यह एक चमत्कार था. लोग बाबा गोरक्षनाथ की पूजा करने लगे और हर मकर सक्रांति पर उनको दाल चावल की खिचड़ी, तिल के लडडू आदि चढ़ाने लगे. आज भी गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में हर मकर संक्रांति पर बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है.
गोरखनाथ मंदिर में पहली खिचड़ी वहां के महंत चढ़ाते हैं. उसके बाद अन्य लोग खिचड़ी चढ़ाते हैं. यह गोरखनाथ मंदिर पूरे देश में नाथ परंपरा का पोषक है. यहां से नाथ परंपरा का प्रचार प्रसार भी होता है. मकर संक्रांति पर हर साल गोरखनाथ मंदिर में एक माह के लिए खिचड़ी का मेला लगता है.
(नोट- उपरोक्त दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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