नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व में 1.3 अरब लोग किसी न किसी तरह से तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. वहीं 80 लाख लोगों की मौत हर साल तंबाकू के सेवन से होता है. इनमें से 70 लाख लोगों की मौत सीधे तंबाकू के कारण से होती है. बाकी 12 लाख मौतें ऐसी होती हैं जिनमें स्मोकिंग सीधा नहीं जुड़ा होता है लेकिन ऐसे लोग स्मोकर के संपर्क में रहते हैं. वैसे, अधिकांश लोगों को पता रहता है कि तंबाकू का सेवन शरीर को हर तरह से नुकसान पहुंचाता है. इन सबको जानते हुए लोग सिगरेट या तंबाकू की लत को छोड़ नहीं पाते हैं. आखिर इसके पीछे क्या वजह है कि लोग कोशिशों के बावजूद सिगरेट या तंबाकू को छोड़ नहीं पाते हैं. क्या है इसके पीछे का विज्ञान.
निकोटिन सबसे बड़ा विलेन
अमेरिकन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक तंबाकू में निकोटिन नाम का ड्रग होता है. सिगरेट को इस तरह बनाया जाता है कि इसमें मौजूद निकोटिन बहुत तेजी के साथ दिमाग में चला जाए. जैसे ही यह दिमाग में जाता है, बहुत तेजी से ऐसे केमिकल्स बनने लगते हैं जो फील गुड को अहसास कराते हैं. निकोटिन दिमाग के इस हिस्से को जितना अधिक उद्दीपित करता है उतना ही अधिक दिमाग को इस परिवेश में रहने की आदत हो जाती है. समय के साथ निकोटिन मस्तिष्क के काम करने के तरीके को भी बदलने लगता है और ऐसा लगता है कि अच्छा महसूस करने के लिए निकोटिन की हर हाल में जरूरत है.
दिमाग चिड़चिड़ा हो जाता
इस स्थिति में जैसे ही आप स्मोकिंग को बंद करेंगे आपका दिमाग चिड़चिड़ा होता जाएगा. ऐसे में आप अपसेट महसूस करेंगे. आपको किसी न किसी बात पर चिंता होने लगेगी. इससे परेशानी बढ़ जाएगी. यहां तक कि आपको ध्यान केंद्रित करने या नींद में कठिनाई हो सकती है. फिर स्मोकिंग या तंबाकू खाने की प्रबल इच्छा हो सकती है. ऐसी स्थिति में आम तौर पर आप असहज महसूस कर सकते हैं. इन भावनाओं को निकासीकरण कहते हैं. हालांकि अगर आप कुछ सप्ताह तक स्मोकिंग बिल्कुल नहीं करते तो फिर धीरे-धीरे दिमाग बिना निकोटिन में रहने की आदत डाल लेता है.
सिगरेट छोड़ना है आसान
हालांकि स्मोकिंग छोड़ना काफी मुश्किल है क्योंकि जब आप सिगरेट पी रहे होते हैं तो निकोटिन का पूरा अहसास आपके दिमाग में रहता है. यह रूटीन का हिस्सा हो जाता है. इस रूटीन से सिगरेट या तंबाकू को हटाना मुश्किल तो है लेकिन नामुकिन नहीं है. अधिकांश लोग बीच के खाली समय में सिगरटे या तंबाकू का सेवन करते हैं. जैसे ब्रेक में, कॉफी पीने के दौरान, भोजन करने के बाद, दोस्तों के साथ बातचीत या फोन के दौरान लोग सिगरेट पीते हैं. यह रुटीन का हिस्सा बन जाता है. इस बीच सिगरेट पीने की इच्छा तब और ज्यादा हो जाती है जब कोई स्ट्रेस में रहता है या उदासी में रहता है. इस स्थिति में जब सिगरेट छोड़ते हैं तो तब जब-जब आपकी सिगरेट पीने की आदत है, तब-तब इसकी तलब होगी. इन सब वजहों से सिगरेट या तंबाकू छोड़ना बहुत मुश्किल होता है. हालांकि डॉक्टरों की मदद से अब सिगरेट, तंबाकू को छोड़ना आसान हो गया है और लोग छोड़ने भी लगे हैं. इसके लिए समर्पण की जरूरत होती है.
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