नई दिल्ली। सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं(maidens and unmarried girls) के सबसे बड़े पर्व में से हरतालिका तीज भी है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) मनाई जाती है। ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती (Lord Shiva and Mother Parvati) से जुड़ा है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं। महिलाएं तीज में निर्जला व्रत(Nirjala Vrat) रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस बार हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022 को मनाई जा रही है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती (Lord Shiva, Mother Parvati) और उनके पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर घर में मंदिर में स्थापित करते हैं। माता का श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, हाथों पर मेहंदी रचाती हैं और रात में माता गौरी की पूजा करती हैं। सुहागिनों के साथ ही कुंवारी लड़कियां भी इस दिन उपवास करती हैं। चलिए जानते हैं हरतालिका तीज कब है, क्यों और कैसे मनाई जाता है हरतालिका तीज का पर्व।
क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज
सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। अविवाहित युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन उपवास करती हैं। हरतालिका तीज को मनाने का एक कारण माता पार्वती और भगवान शिव हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने ही सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत करते भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। माता पार्वती का अनुसरण करते हुए महिलाएं शिवजी और माता पार्वती जैसा दांपत्य जीवन पाने की कामना करती हैं।
कैसे मनाई जाती है हरतालिका तीज
हरतालिका तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकल्प करें। माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर एक चौकी पर स्थापित करें। देवी पार्वती को वस्त्र, चुनरी और अन्य श्रृंगार के सामान से तैयार करें। फिर फूल, धूप, चंदन अर्पित करें। शिव जी को भांग, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें। पूरा दिन निर्जला उपवास के बाद रात में भजन कीर्तन और फिर मुहूर्त पर पूजा करें।
हरतालिका तीज में करें इन मंत्रों का जाप
उपवास के दौरान आप मंत्रों का जाप कर सकते हैं। भगवान शिव की पूजा करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। मां पार्वती का पूजन करते समय ‘ॐ उमायै नम:’ मंत्र का जाप करें।
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