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क्‍यों मनाई जाती अक्षय तृतीया, जानिए शुभ मुहूर्त- इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

April 19, 2022

Akshaya Tritiya a-हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya ) को काफी शुभ माना जाता है। इस दिन मांगलिक व शुभ कार्य (auspicious and auspicious work) किए जाते हैं। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है। इस साल अक्षय तृतीया 3 मई 2022 को मनाई जाएगी।

Akshaya Tritiya -आखा तीज पर कौन से काम करना होते हैं शुभ?
हिंदू धर्मग्रंथों में अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya  को अबूझ मुहूर्त बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस तिथि पर सूर्य और चंद्र अपनी उच्च राशि में होते हैं। इसलिए इस दिन शादी, कारोबार की शुरूआत और गृह प्रवेश करने जैसे मांगलिक काम बहुत शुभ साबित होते हैं। शादी के लिए जिन लोगों के ग्रह-नक्षत्रों का मिलान नहीं होता या मुहूर्त नहीं निकल पाता, उनको इस शुभ तिथि पर दोष नहीं लगता व निर्विघ्न विवाह कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया 2022 शुभ मुहूर्त-
तृतीया तिथि 03 मई 2022 को सुबह 05 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 04 मई की सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र सुबह 12 बजकर 34 मिनट से 04 मई की सुबह 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

अक्षय तृतीया का महत्व-
अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya  के दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन विवाह के साथ वस्त्र, आभूषण, भवन व वाहन आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन धार्मिक कार्य शुभ फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान करने से सुख-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।

किन पौराणिक मान्यताओं के कारण शुभ है अक्षय तृतीया?
शास्त्रों के मुताबिक वैशाख माह विष्णु भक्ति का शुभ काल है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस माह की अक्षय तृतीया को ही भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव और परशुराम अवतार हुए थे। इसलिए इस दिन परशुराम जयंती, नर-नारायण जयंती भी मनाई जाती है। त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी शुभ तिथि से मानी जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी पुण्यदायी व महामंगलकारी मानी जाती है।


क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया- Akshaya Tritiya 
1. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इस दिन परशुराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।

2. मान्यता है कि इस दिन भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं।

3. एक मान्यता यह भी है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ। इसलिए कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन रसोई घर व अनाज की पूजा जरूर करनी चाहिए।

4. कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था। इस ग्रंथ में श्री भगवत गीता भी समाहित है। इसलिए इस दिन श्री भगवत गीता के 18वें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए।

5. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही नर-नारायण ने भी अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को शुभ माना जाता है।

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