गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे (Holy Friday), ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। यह त्योहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया है। यह त्योहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार (Friday) को आता है और इसका पालन पाश्कल ट्रीडम के अंश के तौर पर किया जाता है और यह अक्सर यहूदियों के पासोवर के साथ पड़ता है।
इस बार गुड फ्राइडे 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन को पुण्य शुक्रवार भी कहा जाता है। ये दिन ईसाइयों के लिए बहुत खास होता है। यह ईसाई समुदाय के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन को ‘शोक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। यही वो दिन था जिस दिन प्रभु ईसा मसीह को तमाम शारीरक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था।
ईसा ने दिया लोगों को मानवता का उपदेश : कहा जाता है कि 2000 साल पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे। उनके उपदेशों से प्रभावित होकर वहां के लोगों ने उन्हें ईश्वर मानना शुरू कर दिया था। इस बात से वहां धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने लग गए थे।
सूली पर चढ़ाए गए थे प्रभु यीशु : लोगों के बीच ईसा की बढ़ती लोकप्रियता वहां के धर्मगुरुओं का अखरने लगी थी। उन्होंने ईसा की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी थी। उन्होंने पिलातुस को बताया कि खुद को ईश्वरपुत्र बताने वाला यह युवक पापी होने के साथ ईश्वर राज की बातें भी करता है। शिकायत मिलने के बाद ईसा पर धर्म की अवमानना के साथ राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इसके बाद ईसा को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया गया। कोड़ें-चाबुक बरसाने और कांटों का ताज पहनाने के बाद कीलों से ठोकते हुए उन्हें सूली पर लटका दिया गया। बाइबल के अनुसार ईसा को जिस जगह सूली पर चढ़ाया गया था, उसका नाम गोलगोथा है।
पूरे राज्य में हो गया था अंधेरा : गोलगोथा एक उंचा टीला था, जहां प्रभु यीशु ने अंतीम सांस ली थी। अंत में उन्होंने परमपिता परमेश्वर से कहा- हे पिता, मैं अपनी आत्मा को तुझे सौंपता हूं। बताया जाता है कि जब ईसा मसीह छह घंटों के लिए सूली पर लटके थे, तो उनमें से तीन घंटों के लिए पूरे राज्य में अंधेरा हो गया था और एक तेज जलजला आया। कब्रों की कपाटें टूटकर खुल गईं और पवित्र मंदिर का परदा नीचे तक फट गया था।
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