चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक रोचक मामला सामने आया है. ये मामला शहीद ए आजम भगत सिंह से जुड़ा हुआ है. भगत सिंह को पकड़ने वालों के नाम पर फंड के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई. याचिका में कहा गया है कि भगत सिंह को पकड़ने वाले ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स और चानन सिंह के नाम पर मेमोरियल फंड दिया जाता है. जो की शहीद का अपमान है. बता दें सांडर्स को गोली मारने के बाद कांस्टेबल चानन सिंह ने भगत सिंह को पकड़ने का प्रयास किया था.
ये याचिका एक किताब के हवाले से दाखिल की गई है. एक लॉ स्टूडेंट रेवंत सिंह द्वारा ये याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है. इस याचिका में पुस्तक के हवाले से कहा गया कि यदि चानन सिंह भगत सिंह को पकड़ने में कामयाब हो जाता तो भगत सिंह एसेंबली मे बम फेंकने जैसे बड़े मिशन को अंजाम नहीं दे पाते. याचिका में कहा गया कि चानन सिंह और सांडर्स के नाम पर मेमोरियल फंड दिया जा रहा है जो देश के शहीदों का अपमान है.
याचिका में कहा गया है कि पंजाब ने अपने रूल्स में भी संशोधन कर लिया था, लेकिन हरियाणा ने ऐसा नहीं किया. हरियाणा ने वर्ष 1966 में पंजाब पुलिस रूल्स को अपना लिया था. याचिका में कहा गया कि ड्यूटी पर मारे गए पुलिस कर्मियों के आश्रितों को आर्थिक सहयोग के लिए इस फंड का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा पुलिस पेंशनर्स के मरने पर उनके आश्रितों को भी इस फंड से आर्थिक मदद दिए जाने का प्रावधान है.
लॉ स्टूडेंट रेवंत की तरफ से दायर याचिका में ये भी कहा गया है कि सांडर्स को गोली मारने के बाद हेड कांस्टेबल चानन सिंह ने भगत सिंह को पकड़ने का प्रयास किया था, लेकिन उसी समय चंद्रशेखर आजाद ने चानन सिंह की जांघ में गोली मारी थी. बाद में चानन सिंह की मौत गोली से नहीं हुई बल्कि ज्यादा खून बह जाने से हुई. मौके पर मौजूद सभी लोग सांडर्स को संभालने में लगे थे जबकि चानन सिंह को किसी ने संभाला ही नहीं.
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