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    12 बर्षों में एक बार ही क्‍यों लगता है कुंभ का मैला, जानें प्राचीन कथा

  • January 19, 2021


    हरिद्वार में होने वाली महाकुम्भ की तैयारियां जोरो से चल रही हैं। वहीं, गंगा के प्रति श्रद्धा और विश्वास से भरा महाकुम्भ मेला की शुरूआत हो चुकी है। 83 वर्षो बाद एक बार फिर से ग्रहों की दशा बदने की वजह से 12 वर्षों में लगने वाला महाकुंभ इस बार 11 वर्ष में ही पड़ा है। जैसा कि14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन ही हरिद्वार में शुभांरभ हो चुका है जो 48 दिनों तक चलेगा।

    महाकुंभ की प्राचीन कथा
    जैसा कि कुंभ से जुड़ी समुद्र मंथन की कथा काफी प्रचलित है। कथा के अनुसार, महर्षि दुर्वासा के शाप की वजह से स्वर्ग से धन, वैभव सब खत्म हो गया था, तब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने की सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा। अमृतपान से सभी देवता अमर हो जाएगें। देवताओं ने यह बात असुरों के राजा बलि को बताया तो वो भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। बता दें कि समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। ये 14 रत्न थे- विष, उच्चैश्रवा (घोड़ा), ऐरावत, कौतुम्भ मणि, कामधेनु, कल्पवृक्ष, देवी लक्ष्मी, अप्सरा रंभा, पारिजात, वारुणी देवी, शंख, चंद्रमा, धन्वंति देव। वहीं समुद्र के अंत में अमृत का कलश प्राप्त हुआ।


    अप्रैल 14, 2021 बैसाखी

    महाकुंभ स्नान की तिथियां
    अगर बात करें महाकुंभ के शाही स्नान के बारे में तो इस बार के महाकुंभ में 4 शाही स्नान और 6 पर्व स्नान होगें। कहा जाता है कि इसी दिन दुनिया भर के साधु-संतों और नागा बाबाओं के दर्शन होते हैं। इस पावन अवसर वे गंगा स्नान के लिए आते है और महाकुंभ का पहला गंगा स्नान इन्हीं के स्नान से शुरू होता है। चलिए बताते है इन स्नान की तिथियों के बारे में…

    शाही स्नान

    तिथियां दिन

    मार्च 11, 2021 महा शिवरात्रि

    अप्रैल 12, 2021 सोमवती अमावस्या
    अप्रैल 27, 2021 चैत्र पूर्णिमा

    पर्व स्नान

    फरवरी 11, 2021 मौनी अमावस्या

    फरवरी 16, 2021 बसंत पंचमी

    फरवरी 27, 2021 माघ पूर्णिमा

    अप्रैल 13, 2021 नवम्स वत्सर

    अप्रैल 21, 2021 राम नवमी

    12 वर्षों में एक बार होता है महाकुंभ ये है कारण : 
    कथानुसार, अमृत देख सभी देवता और असुर अमृत के पान के आगे बढ़ें। अमृत का पान करने के लिए देवता और असुरों के बीच युद्ध होने लगा। इस दौरान कलश से अमृत की बूंदें धरती के तार स्थानों पर गिरा। ये 4 स्थान थे- हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयाग। बता दें कि देवताओं और असुरों का यह युद्ध 12 वर्षों तक चला था, इसलिए हर 12-12 वर्ष में एक बार महाकुंभ का भव्य आयोजन होता है। मान्यतानुसार, महाकुंभ के मेले में सभी अखाड़ों के साधु-संत और भक्त गंगा स्नान के लिए इन चारों स्थानों पर जाते हैं।

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