जबलपुर। क्रिश्चियन हायर सेकेंडरी स्कूल में धर्मांतरण का खुलासा करने के उपरांत अग्निबाण द्वारा लगातार क्रिश्चियन हाई सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य संजीव जेम्स के काली करतूतों को उजागर किया गया। इस दौरान रमाकांत मिश्रा द्वारा प्रचार्य पर गंभीर आरोप भी लगाए गए, जिसमें की जिला शिक्षा अधिकारी और संजीव जेम्स ने फर्जी तरीके से जो अनुदान शासन मद से स्कूल को करवाया था। उसकी भी जानकारी सामने आई थी। धीरे-धीरे संजीव जेम्स की काली करतूतों का खेल रमाकांत मिश्रा द्वारा खोला जा रहा है। पीडि़त रमाकांत मिश्रा के अनुसार प्राचार्य द्वारा भगवान शंकर की पूजा करने के लिए भी उसे मना किया जाता था। और भगवान भगवान शंकर को लेकर विभिन्न प्रकार के अपशब्द कहे जाते थे।
शंकर की पूजा क्यों करते हो!
पीडि़त रमाकांत मिश्रा के अनुसार 25 जुलाई 2022 सोमवार सुबह अपने विद्यालय के लिए निकला। रोड पर जाम लगा था मैं जाम में फंसा था। शास्त्री ब्रिज चौराहे के पास कि भगवान भोलेनाथ के भक्त कांवड्यात्रा निकाल रहे थे, सभी रास्ते जाम थे। आगे या पीछे जाना सम्भव नही हो पा रहा था। मैं रास्त्ता खुलने का इन्तजार करता रहा। जब रास्ता खाली हुआ तो मैं लगभग 9 बजकर 40 मिनट पर विद्यालय पहुंच सका। प्राचार्य संजीव जेम्स ने हस्ताक्षर रजिस्टर देने से मना किया। प्राचार्य संजीव जेम्स ने कहा कि तुम हिन्दू सब साधु के रुप में शैतान का काम करते हो…शंकर की पूजा क्यों करते हो। और विभिन्न प्रकार की अनर्गल बातें सनातन धर्म और भगवान शंकर के लिए कहीं। ऐसी धर्म विरोधी बातें जेम्स ने सनातन धर्म के लिए बहुत बार कहीं है।
ईओडब्ल्यू में पहुंची प्राचार्य जेम्स और जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत
अग्निबाण द्वारा पिछले दिनों धर्मांतरण के खेल को अपने पाठकों के समक्ष बड़ा खुलासा किया गया था कैसे क्रिश्चियन हाई सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य द्वारा अपने शिक्षक रमाकांत मिश्रा पर धर्मांतरण करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। मामले को लेकर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। पीडि़त रमाकांत मिश्रा ने इस मामले में एक और बड़ा खुलासा किया है। पीडि़त के अनुसार धर्मांतरण के व्यापार में लिप्त संजीव जेम्स ने मॉडल हाई स्कूल के एक शिक्षक के साथ मिलकर फर्जी तरीके से स्कूल को अनुदान करवा लिया। अप्रैल 2020 में स्कूल की शाखा लगभग बंद हो गई थी परंतु संजीव जैन जैन का रिटायरमेंट 2024 तक है और इस कारण उन्होंने संस्था को संचालित करने के लिए फर्जी तरीके से अनुदान जारी रखा। जिसके बाद पीडि़त रमाकांत मिश्रा ने मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू में की है।
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