नई दिल्ली। हिन्दू धर्म पुनर्जन्म (Hinduism reincarnation) में विश्वास करता है इसीलिए मरने के बाद मृतक की आत्मा को मुक्ती और शांति दिलाने के लिए कई कर्म काण्ड (rituals) भी किये जाते है। आप सभी ने देखा होगा की किसी रिश्तेदार के मरने पर हिन्दू धर्म में लोग अपना सर मुंडवा (shave off) लेते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की मृत्यु के बाद क्यों है सर मुंडवाने की प्रथा, इसके पीछे का धार्मिक कारण क्या है, तो आइये अब जानते है की मुंडन क्यों किया जाता है।
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार रीती और नियम से किये गए कार्य से आत्मा को अगले जन्म अर्थात नए शरीर में उसके प्रवेश के द्वार खुलते है या फिर वो स्वर्ग में जाती है। अब इन्ही कृत्यों में से एक है मृत्यु होने पर परिवार के पुरुष सदस्यों (male members) का मुंडन करवाना इस मुंडन पर सर और चेहरे के सारे बाल निकाल दिए जाते है। अगर वह परिजन अपने सर पर शिखा यानी की चोटी रखी होती है तो उसे काटने का प्रावधान नहीं है। गरुण पुराण के अनुसार मृतक की आत्मा मृत्यु (soul death) के बाद भी शरीर छोड़ने के लिए तैयार नहीं रहती है। वह यमराज से याचना करके यमलोक से वापस आती है और अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश करती है।
शरीर न होने के कारण वह संपर्क करने के लिए परिजनों के बालों का सहारा लेती है। लिहाजा ऐसा न हो पाए इसलिए परिजन सिर मुंडवाते हैं। ताकि आत्मा उनके मोह से मुक्त हो सके। व्यक्ति के निधन के बाद उसके परिजनों द्वारा सिर मुंडवाना मृतक के प्रति प्रेम और सम्मान (love and respect) जताने का एक जरिया भी है। मृतक के प्रति कृतज्ञता दर्शाते (showing gratitude) हुए लोग अपने बाल कटवा लेते हैं, क्योंकि बालों के बिना सुंदरता अधूरी है।
शव में कई तरह बैक्टीरिया पनप (bacteria flourish) जाते हैं। ऐसे में शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने और अंतिम संस्कार (Funeral) करने के दौरान पुरुष परिजन उसके संपर्क में आते हैं। स्नान के बाद भी जीवाणु बालों में चिपके न रह जाएं, इसलिए चेहरे के बाल हटवा दिए जाते हैं। बच्चे के जन्म और किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण परिवार में सूतक लगता है। यानी कि कुछ दिनों तक परिवार के लोगों को अशुद्ध माना जाता है। सिर मुंडवाने पर ही सूतक पूरी तरह से खत्म होता है।
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