नई दिल्ली: संसद में कई मुद्दों पर अक्सर सियासी गर्मागर्मी देखने को मिलती है. लेकिन मंगलवार को संस्कृत को लेकर बवाल मच गया. दरअसल, डीएमके सांसद दायनिधि मारन ने संस्कृत को पैसे की बर्बादी से जोड़ दिया. उन्होंने अन्य भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत में भी बहस का अनुवाद किए जाने पर आपत्ति जताई. इस पर लोकसभा स्पीकर ने उन्हें खरी-खरी सुना दी. सीधा पूछ लिया कि आपको संस्कृत से इतनी दिक्कत क्यों है भाई?
डीएमके की संस्कृत और हिन्दी से दुश्मनी कोई छिपी हुई बात नहीं है. अक्सर वे हिन्दी का विरोध करते नजर आते हैं. उन्हें लगता है कि संस्कृत को बढ़ावा देना आरएसएस का एजेंडा है. इसीलिए वे बार-बार इस पर सवाल उठाते रहते हैं. दरअसल, लोकसभा में प्रश्नकाल के तुरंत बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि छह और भाषाओं., बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू को उन भाषाओं में शामिल किया गया है, जिनमें संसद की कार्यवाही को ट्रांसलेट करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
स्पीकर ने जैसे ही संस्कृत शब्द बोला, डीएमके के नेता नारेबाजी करने लगे. इस पर स्पीकर ने पूछा कि आखिर आप लोगों की समस्या क्या है. इसके बाद डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि संस्कृत में भाषा ट्रांसलेट कराकर सरकार टैक्सपेयर के पैसे बर्बाद कर रही है. यह ठीक नहीं है. आरएसएस की विचारधारा के कारण लोकसभा की कार्यवाही का संस्कृत में ट्रांसलेट किया जा रहा है.
इस पर लोकसभा स्पीकर इतने नाराज हुए कि उन्होंने दयानिधि मारन को कड़ी फटकार लगा दी. कहा, माननीय सदस्य आप किस देश में जी रहे हैं. यह भारत है. संस्कृत भारत की प्राथमिक भाषा रही है. मैंने 22 भाषाओं के बारे में बात की, सिर्फ संस्कृत की नहीं. आपको संस्कृत पर ही क्यों आपत्ति है भाई? संसद में 22 मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं. हिंदी के साथ-साथ संस्कृत में भी लोकसभा की कार्यवाही का अनुवाद किया जाएगा.
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