हिंन्दू धर्म में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा हर शुभ कार्य के पहले की जाती है। यूं तो सब आप सब जानते ही हैं कि भगवान गणेश के दो विवाह हूए थे लेकिन क्यों हूए थें ये आपको पता नही है तो हम आपको बतानें जा रहें हैं । गौरी पुत्र (Gauri Putra) गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, लेकिन अपने ही एकदंत और लम्बोदर स्वरूप के कारण उनके विवाह में कठिनाई आने लगी थी। जिससे नाराज होकर वो अन्य देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे थे। अंततः ब्रह्मा जी के द्वारा रचे गये संयोग और तुलसी जी (Tulsi ji) के श्राप के कारण गणेश जी को दो विवाह करने पड़े थे। आइये जानते हैं गणेश जी के विवाह की रोचक कथा।
गणेश जी के विवाह में क्या थी समस्या
गणेश जी का गजमुख (Gajmukh) दो दांतों के साथ शोभायमान होता था, परन्तु एक बार भगवान परशुराम ने क्रोधवश उनका एक दांत फरसे से काट दिया था। जिस कारण से गणेश जी एकदंत या वक्रतुण्ड कहलाने लगे। लेकिन उनके इसी एक दांत और लम्बोदर रूप के कारण कोई उनसे विवाह करने को तैयार नहीं होता था। इससे रुष्ट होकर गणपति अपनी सवारी मूषक की सहायता से दूसरे देवताओं के विवाह में बाधा पहुंचाने लगे थे। सभी देवताओं ने अपनी समस्या जाकर ब्रह्मा जी से कही।
तुलसी जी ने क्यों दिया था दो विवाह का श्राप
पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार तुलसी जी ने मोहित होकर गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तपस्या में लीन होने के कारण गणेश जी ने उनके विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। इससे नाराज हो कर तुलसी जी ने गणेश जी को दो विवाह होने का श्राप दे दिया था। जो कि अन्ततः ऋद्धि और सिद्धि(Riddhi and Siddhi) के साथ उनके विवाह के रूप में फलीभूत हुआ।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved