नई दिल्ली। कई जगहों पर पास 19 अगस्त को जन्माष्टमी(Janmashtam) का त्योहार मनाया जा रहा है. मथुरा-वृंदावन ही नहीं, पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद मास (Bhadrapada month) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. हम जन्माष्टमी तो हमेशा ही मनाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश करी है कि राधा और श्री कृष्ण (Radha and Shri Krishna) का मिलन कैसे हुआ था. हम एक बात हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि राधा श्री कृष्ण के बिना अधूरी हैं और श्री कृष्ण राधा के बिना अधूरे हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जब ये दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं तो इन्होंने शादी क्यों नहीं की. काफी लोग इस बात को जानने के लिए दिलचस्पी रखते हैं. शादी ना करने के बावजूद दोनों की पूजा हमेशा साथ होती है. दुनिया में ऐसे कई जोड़े हैं जो भगवान कृष्ण और राधा को अपनी प्रेरणा मानते हैं. आइए जानते हैं, राधा और भगवान कृष्ण की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से.
धरती पर जन्म लेने के बाद कैसे भगवान कृष्ण और राधा मिले थे
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण चार से पांच साल के थे, तब वह अपने पिता जी के साथ गाय चराने खेतों में गए थे. अपने पिता को आश्चर्यचकित करने के लिए उन्होंने वसंत के मौसम में तूफान ला दिया और ऐसे दिखाया जैसे उन्हें कुछ पता ना हो. अचानक से तेज बारिश शुरू हो गई और कृष्ण जी ने रोना शुरू कर दिया. कृष्ण जी को रोते देख उनके पिता जी ने उन्हें कसकर गले लगा लिया. भगवान कृष्ण के पिता परेशान होने लगे कि उन्हें इस मौसम में कृष्ण की देखभाल भी करनी है और साथ साथ गायों की भी देख-रेख करनी है. कृष्ण जी के पिता को उसी समय एक सुंदर कन्या आते हुए दिखी. जिसको देखकर नंद बाबा शांत हुए और उन्होंने उस लड़की को कृष्ण की देखभाल के लिए कहा. जब लड़की ने कृष्ण की देखभाल के लिए हां बोल दिया, उसके बाद नंद जी गायों को लेकर घर चले गए.
भगवान कृष्ण और राधा कहां मिला करते थे
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण और राधा अक्सर वृंदावन में मिला करते थे. हर रोज भगवान कृष्ण झरने के पास बांसुरी की मधुर धुन बजाते थे और राधा जी उसी मधुर ध्वनि को सुनकर उनसे मिलने आती थीं.
भगवान कृष्ण और राधा कभी अलग नहीं हुए
मान्यताओें के अनुसार राधा कभी भी भगवान कृष्ण से अलग नहीं होती हैं. भगवान कृष्ण और राधा के बीच प्रेम का रिश्ता शारीरिक नहीं था, बल्कि ये भक्ति का एक शुद्ध रूप था. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा दैविक रूप के दो अलग-अलग सिद्धांत हैं.
भगवान कृष्ण और राधा ने एक दूसरे से शादी क्यों नहीं की
भगवान कृष्ण और राधा ने एक दूसरे से शादी न करने का फैसला इसलिए किया था क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि प्रेम और विवाह एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. यह साबित करने के लिए कि प्रेम शरीर से नहीं बल्कि भक्ति और शुद्धता के साथ होता है. दोनों ने एक-दूसरे से शादी न करके प्रेम की परम भक्ति को पूरे विश्व के सामने रखा. कुछ मान्यताओं के अनुसार, राधा खुद को कृष्ण जी के लिए सही नहीं मानती थीं क्योंकि वह एक गाय चराने वाली थीं. इसलिए, वह भगवान कृष्ण से शादी न करने के अपने फैसले पर अटल थीं. इसके अलावा, एक मान्यता और है कि भगवान कृष्ण और राधा एक दूसरे को एक ही आत्मा मानते थे, इसलिए उन्होंने बताया था कि वह अपनी ही आत्मा से कैसे शादी कर सकते हैं.
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