जयपुर (Jaipur) । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) राजस्थान (Rajasthan) में चुनाव प्रचार (Election Campaign) के लिए नहीं आ रहे हैं। जबकि मतदान के लिए 7 दिन बचे हैं। 25 तारीख को वोटिंग है। आप पार्टी के बड़े नेता भी राजस्थान के चुनावी शोरगुल से दूरी बनाए हुए है। केजरीवाल ने सितंबर में जयपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। उसके बाद केजरीवाल ने राजस्थान से दूरी बना ली। इससे पहले केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने 18 जून को श्रीगंगानगर में जनसभा को संबोधित किया। जिसमें सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) को केजरीवाल ने निशाने पर लिया था। राजस्थान में आम आदमी पार्टी राज्य की करीब सभी विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रही है। लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं आ रहा है। सियासी जानकार इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। मतदान से ठीक पहले गहलोत ने जयपुर की हवामहल सीट से आप प्रत्याशी पप्पू कुरैशी को कांग्रेस प्रत्याशी से समर्थन में बैठा दिया।
राजस्थान में चुनाव लड़ रही है आप
राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी ने नवीन पालीवाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। पार्टी करीब सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे है। लेकिन पार्टी के बड़े नेता नहीं आ रहे है। प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले पर कांग्रेस सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा कर दिया था। विनय मिश्रा ने सीएम अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा। लेकिन चुनाव प्रचार के बीच विनय मिश्रा चु्प्पी साधे हुए है। बता दें आम आदमी पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सबसे ज्यादा नुकसान किया था। कांग्रेस पार्टी 17 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा दी थी। लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत का जादू चल गया है कि आप उम्मीदवार कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।
अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं
राजस्थान के चुनाव प्रचार से दूरी बनाए जाने के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अऱविंद केजरीवाल कानून पचड़ों में फंसे हुए है। आप के बड़े नेता एक-एक करते जेल जा रहे हैं। कथित शराब घोटाला के वजह से सीएम केजरीवाल दिल्ली से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आप के दूसरे बड़े नेता भी राजस्थान आने से करता रहे हैं। भारत निर्वाचन आय़ोग ने राजस्थान समेत पांच राज्यों में 9 अक्टूबर तो चुनावी तारीखों का ऐलान किया था। लेकिन एक महीने के बीत जाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं आ पाए। राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग है। चुनाव प्रचार 48 घंटे पहले ही समाप्त हो जाएगा। ऐसे में राजनीतिक दलों के पास प्रचार के लिए 5 दिन बचे हैं।
थर्ड फ्रंट नहीं दे पा रहा है चुनौती
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सीएम अशोक को पर्यवेक्षक बनाया था। गहलोत के निशाने पर अरविंद केजरीवाल ही थे। दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी भी हुई थी। लेकिन राजस्थान विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम गहलोत ने केजरीवाल के बारे में एक भी शब्द नहीं बोला है। जबकि केजरीवाल की पार्टी सबी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान में थर्ड फ्रंट खेल बिगाड़ने की स्थिति में नहीं है। गठबंधन नहीं होने की वजह से कांग्रेस-बीजेपी को चुनौती पेश नहीं कर पा रहा है। हालांकि, बसपा, जेजेपी और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी कई सीटों पर टक्कर दे रही है।
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