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एक गाने के लिए कंपोजर इलैयाराजा ने प्रोड्यूसर को क्यों भेजा 5 करोड़ का नोटिस? 

  • April 24, 2025


    नई दिल्ली. भारत (India) के सबसे नामी म्यूजिक कंपोजर्स (Music Composers) में से एक और तमिल इंडस्ट्री (tamil industry) के आइकॉनिक संगीतकार इलैयाराजा (Ilaiyaraaja) अपने गानों के कॉपीराइट को लेकर पिछले कई सालों से, कई लीगल केस लड़ते आ रहे हैं. अब उन्होंने तमिल स्टार अजित कुमार की फिल्म ‘गुड बैड अग्ली’ के मेकर्स को नोटिस भेजा है.


    इलैयाराजा के इस एक्शन पर तमिल फिल्म इंडस्ट्री में इसे लेकर विवाद उठने लगे हैं. ‘गुड बैड अग्ली’ अभी तक इस साल की सबसे बड़ी तमिल फिल्म है इसलिए गाने के एक छोटे से हिस्से को इस्तेमाल करने के लिए इलैयाराजा के एक्शन पर भी लोग खफा हो रहे हैं. उनका रिकॉर्ड रहा है कि वो अपने गानों के इस्तेमाल को लेकर बहुत एक्टिव रहते हैं. उनकी इजाजत के बिना ऐसा होते ही वो फिल्ममेकर्स को तुरंत नोटिस भेज देते हैं.

    ‘गुड बैड अग्ली’ को नोटिस में इलैयाराजा ने क्या शर्तें रखीं?
    इलैयाराजा ने अपने वकील के जरिए फिल्म की प्रोडक्शन कंपनी मैत्री मूवी मेकर्स को नोटिस भेजा है जिसमें उनके तीन गाने इस्तेमाल करने के लिए 5 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा गया है. इलैयाराजा ने ‘गुड बैड अग्ली’ के मेकर्स को उनके गाने फिल्म से हटाने और बिना शर्त माफी मांगने के लिए 7 दिन का समय दिया है.

    इलैयाराजा पिछले कई सालों से अपने गानों के बिना इजाजत इस्तेमाल के लिए लड़ते आ रहे हैं और इसकी शुरुआत उन्होंने अपने ही एक अच्छे दोस्त से की थी. ये समझना बहुत जरूरी है कि यहां बड़ा मुद्दा क्या है.

    अपने गानों के इस्तेमाल पर नोटिस क्यों भेजते हैं इलैयाराजा?
    इलैयाराजा का तमिल म्यूजिक इंडस्ट्री में क्या रोल है, इसे यूं समझा जा सकता है कि तमाम नई फिल्मों के महत्वपूर्ण सीन्स में अगर किरदार कोई गाना गुनगुना रहे हैं, या वो रेडियो पर चल रहा है या फिर सीटी बजा रहा है… तो बहुत ज्यादा चांस है कि वो इलैयाराजा का की बनाई धुन होगी. 50 साल से ज्यादा लंबे करियर में, 1000 से ज्यादा फिल्मों में, 7000 से ज्यादा गाने कंपोज कर चुके इलैयाराजा का, तमिल समाज पर एक बड़ा सांस्कृतिक प्रभाव है.

    इतना ऊंचा कद रखने के बावजूद इलैयाराजा को अपने ही गानों के लिए मिलने वाली रॉयल्टी के लिए काफी केस लड़ने पड़े हैं और अभी भी कई केस कोर्ट में हैं. रॉयल्टी का सीधा लेनादेना कॉपीराइट से होता है. किसी भी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पर जिसका कॉपीराइट होता है, उसका इस्तेमाल कहीं भी करने के लिए दूसरों को उसकी परमिशन लेनी पड़ती है. और इस परमिशन के बदले आर्टिस्ट को रॉयल्टी मिलती है.

    रॉयल्टी की लड़ाई में इलैयाराजा की दिलचस्पी तब जगी जब उन्होंने नोटिस किया कि लोग उनके कम्पोज किए गीतों और धुनों से पैसे कमा रहे हैं और उन्हें इसका क्रेडिट तक नहीं मिल रहा, रॉयल्टी तो दूर की बात है. 2017 में उनकी टीम ने सिंगर एस.पी. बालासुब्रमण्यम और चित्रा को, बिना इजाजत एक इवेंट में उनका गाना गाने के लिए नोटिस भेजा. इन दोनों ही सिंगर्स ने इलैयाराजा के साथ कई आइकॉनिक गाने गाए थे इसलिए इस एक्शन से सभी शॉक हो गए.

    वो अपने कंपोज किए कई आइकॉनिक फिल्मी गानों के हीरो रजनीकांत की ब्लॉकबस्टर, ‘कुली’ के मेकर्स के खिलाफ भी ऐसा लीगल एक्शन ले चुके हैं. इसी तरह उन्होंने मलयालम सिनेमा की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक ‘मंजुमेल बॉयज’ के मेकर्स को भी, अपने गानों के ‘गैरकानूनी’ इस्तेमाल के लिए नोटिस भेजा था.

    रॉयल्टी के लिए इलैयाराजा की लड़ाई
    कॉपीराइट एक्ट (1957) में म्यूजिक कंपोजर और लिरिसिस्ट को गाने का ‘ऑथर’ माना गया और फिल्म प्रोड्यूसर को गाने का ‘ओनर’ यानी मालिक. इंडिपेंडेंट गानों के मामले में ‘ओनर’ म्यूजिक लेबल को माना जाता है. इस व्यवस्था में पेंच यहां फंसता था कि जब किसी फिल्मी गाने का इस्तेमाल स्टेज परफॉरमेंस, रियलिटी शो, यूट्यूब के किसी वीडियो या किसी दूसरी फिल्म में किया जाता है तो क्या केवल ओनर को रॉयल्टी मिलेगी और ऑथर का दावा रॉयल्टी पर खत्म हो जाता है?

    फिल्मी गानों के मामलों में प्रैक्टिस ये थी कि म्यूजिक डायरेक्टर और लिरिसिस्ट, अपने गानों के राइट्स अपने पास राइट्स रखने की बात, फिल्म प्रोड्यूसर के साथ कॉन्ट्रैक्ट में अलग से मेंशन नहीं करते थे. इसलिए ये परंपरा चलती रही कि चूंकि प्रोड्यूसर ने अपने खर्च पर, फिल्म के लिए गाना बनवाया है तो कॉपीराइट रॉयल्टी भी प्रोड्यूसर को जाने लगी. वहीं, दूसरी तरफ इंडस्ट्री में ए. आर. रहमान जैसे म्यूजिक कंपोजर आ गए जो कॉन्ट्रैक्ट में ये तय रखते हैं कि उन्होंने भले एक तयशुदा फीस के बदले अपना गाना फिल्म के लिए प्रोड्यूसर को दिया है मगर राइट्स-रॉयल्टी उनके ही पास रहे.

    2012 में हुए कॉपीराइट एक्ट के संशोधन में नियम बदले गए. इंडिया टुडे डिजिटल के साथ एक बातचीत में एडवोकेट भरत एम.एस. ने बताया था, ‘ऑथर चाहे तो अपने सभी राइट्स ओनर को दे सकता है लेकिन इससे म्यूजिक डायरेक्टर, कंपोजर और परफॉर्मर का दावा रॉयल्टी पर कभी खत्म नहीं होगा.’ इलैयाराजा की लड़ाई मुख्यतः 2012 से पहले वाले गानों को लेकर है. एक सवाल ये भी है कि इंटरनेट और यूट्यूब आने से पहले बन चुके उनके गानों के डिजिटल राइट्स किसके बनते हैं?

    हजारों गानों की रॉयल्टी के लिए कोर्ट में लड़ाई
    अपने गानों के कॉपीराइट्स के मामलों में इलैयाराजा कुछ बड़े केस लड़ रहे हैं. इंडियन रिकॉर्ड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड (INRECO) ने, इलैयाराजा के खिलाफ केस करते हुए कोर्ट में दावा किया था कि उन्होंने 1980 के दशक में आई 30 फिल्मों के राइट्स, इन फिल्मों के प्रोड्यूसर्स से खरीदे थे, जो इन गानों के ‘फर्स्ट ओनर’ थे.

    इलैयाराजा का दावा था कि गानों के ‘ऑथर’ के तौर पर उनका अपने म्यूजिकल वर्क पर पूरा कॉपीराइट है, जिसमें ओनर हस्तक्षेप नहीं कर सकता. 2020 में कोर्ट ने फैसला देते हुए INRECO को, उन 30 फिल्मों से इलैयाराजा के गाने इस्तेमाल करने का पूरा कॉपीराइट दिया. इस फैसले को इलैयाराजा ने 2022 में चैलेंज किया और अभी मामले में फाइनल फैसला नहीं आया है.

    इको रिकॉर्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने मद्रास हाईकोर्ट में इलैयाराजा के 4500 गानों के कॉपीराइट्स को लेकर केस किया था. ये गाने 1970s से लेकर 1990s के बीच रिलीज हुई फिल्मों के हैं, जिनके राइट्स इको ने, इन फिल्मों के प्रोड्यूसर से खरीदे हैं. इस केस में 2019 में एक सिंगल जज बेंच ने फैसला दिया था कि इलैयाराजा इन गानों का उपयोग कर सकते हैं. लेकिन कंपनी ने इस फैसले को चैलेंज किया.

    हाई कोर्ट में ही 2010 से चल रहे एक केस में म्यूजिक मास्टर नाम की कंपनी ने 109 फिल्मों के गानों पर कॉपीराइट का दावा किया. कंपनी का कहना है कि इन गानों के राइट्स उन्होंने इलैयाराजा की पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड म्यूजिक लेबल कंपनी से, 1997 में एग्रीमेंट किया था. कंपनी का दावा है कि एग्रीमेंट होने के बावजूद उन्हें, डिजिटल दौर में इन गानों के डिस्ट्रीब्यूशन और ओनरशिप के लिए विवाद का हिस्सा बनना पड़ रहा है क्योंकि एग्रीमेंट यूट्यूब और स्ट्रीमिंग सर्विसेज के आने से पहले किया गया था.

    म्यूजिक मास्टर ने कोर्ट में इन गानों पर पूरी तरह अपना हक जताते हुए कहा कि इनका इस्तेमाल रिंगटोन के तौर पर भी नहीं किया जाना चाहिए.इलैयाराजा की तरफ से कोर्ट में ये दलील दी गई कि एग्रीमेंट में ऑडियो रिलीज को कवर किया गया था लेकिन इसमें डिजिटल या ऑनलाइन डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर कुछ तय नहीं किया गया था. ये लड़ाई भी कोर्ट में जारी है.

    एक तरफ इलैयाराजा कोर्ट में अपने ही बनाए गानों के राइट्स के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों से केस लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ, उनके गानों का इस्तेमाल फिल्मों में लगातार जारी है. अब देखना है कि ‘गुड बैड अग्ली’ के मेकर्स इलैयाराजा से माफी मांगते हुए, उनका गाना फिल्म से हटाते हैं या ये मामला भी कोर्ट पहुंचता है.

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