जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) में सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के खिलाफ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat) के विधानसभा चुनाव (assembly elections) लड़ने की अटकलों पर विरोम लग गया है। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण भी बताए जा रहे हैं। हालांकि, शेखावत ने पहले ही चुनाव नहीं लड़ने के संकेत दे दिए थे। लेकिन बावजूद इसके उनका नाम सुर्खियों में बना रहा। शेखावत और सीएम गहलोत दोनों ही जोधपुर से आते हैं। एक-दूसरे के धुर विरोधी है।
बीजेपी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने नया चेहरा डॉ. महेंद्र राठौड़ को उतारा है। डॉ. महेंद्र राठौर पूर्व में जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के अध्यक्ष रह चुके है। वर्तमान में वो जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कॉमर्स के डीन हैं। बीजेपी ने एक बार फिर राजपूत समाज पर ही भरोसा जताया है। इससे पहले दो चुनाव में भी राजपूत समाज के शंभू सिंह खेतासर को प्रत्याशी बनाया था लेकिन दोनों ही बार शंभू सिंह खेतासर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हार गए थे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान की राजनीति में केंद्रीय मंत्री शेखावत और सीएम गहलोत एक-दुसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। दोनों ही जोधपुर से आते है। शेखावत सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव हरा चुके हैं।
शेखावत को टिकट नहीं मिलने की वजह
दरअसल कयास लगाए जा रहे थे कि गजेंद्र सिंह शेखावत को सीएम गहलोत के खिलाफ जोधपुर की सरदारशहर से विधानसभा चुनाव लड़ाया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। सियासी जानकारों की माने तो शेखावत ने अपने समर्थक को टिकट दिलवाया है। खुद नहीं लड़े है। शेखावत अभी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है कि बीजेपी आलाकमान उन्हें वसुंधरा के विकल्प के तौर पर देख रहा है। क्योंकि सीएम फेस में वसुंधरा राजे ही नंबर एक है। ऐसे में शेखावत ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।
टिकट वितरण में शेखावत की खूब चली
पार्टी यदि शेखावत को सीएम बनाती है तो अपने किसी समर्थक से सीट खाली करवा सकते हैं। क्योंकि टिकट वितरण में शेखावत की खूब चली है। इसके अलावा पार्टी के कई सांसद भी विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। सूत्रों की माने तो पार्टी ने उनके नाम पर मंथन भी किया लेकिन एन मौके पर उनका नाम हटा दिया गया। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण भी सामने आ रहे हैं। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि कई समर्थकों को इस बार विधानसभा का टिकट नहीं मिल पाया है।
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