नई दिल्ली: राशन कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकारों से कड़ा सवाल पूछा. BPL कार्ड से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या राज्य सरकारें सिर्फ दिखावे के लिए राशन कार्ड का इस्तेमाल कर रही हैं, या फिर सभी बीपीएल लोगों तक मदद पहुंच भी रही है? कोर्ट ने ज्यादा राशन कार्ड जारी करने की प्रथा पर सवाल उठाते हुए कहा, हम ज्यादातर लोगों को गरीब बनाने पर क्यों तुले हुए हैं. राज्य सरकारों को इसका जवाब देना होगा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, कहीं ऐसा तो नहीं है कि बीपीएल यानी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए जो पैसे दिए जा रहे हैं, उसका लाभ किसी और की जेब में जा रहा हो? लाभ उन लोगों की जेब में तो नहीं जा रहा है जो इसके हकदार नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कई राज्य राशन प्रणाली के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को सब्सिडी वाली आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने का दावा करते हैं, लेकिन ऐसा राशन बीपीएल लक्षित लाभार्थियों परिवारों तक नहीं पहुंचता है. राशन कार्ड का इस्तेमाल उन राज्यों द्वारा दिखावे के लिए किया जाता है जो दावा करते हैं कि उन्होंने इतने सारे राशन कार्ड जारी किए हैं.
कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर दर्ज किए गए एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने राज्यों द्वारा बड़ी संख्या में राशन कार्ड जारी करने की प्रथा पर सवाल उठाया. कहा, कुछ राज्य उच्च प्रति व्यक्ति आय का दावा करते हैं, फिर भी अपनी अधिकांश आबादी को गरीब बताते हैं, जिससे बीपीएल लाभार्थियों की संख्या बढ़ जाती है. अदालत ने पूछा कि क्या राज्यों द्वारा गरीब वर्ग की पहचान और वर्गीकरण के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका अपनाया जा रहा है, ताकि सुनिश्चित हो सके कि बीपीएल लाभ सही व्यक्तियों तक पहुंच रहे हैं.
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