नई दिल्ली: धनतेरस के दिन पर धनवंतरि पूजन (Dhanvantari Puja 2021) होता है. इसके अलावा इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा की जाती है. धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी (Gold Silver) के अलावा बर्तन भी खरीदते हैं. मान्यता है कि इस दिन कोई भी खरीदा गया समान तेरह गुना लाभ देता है. आइए जानते हैं कि इस दिन बर्तन क्यों खरीदा जाता है और इसकी परंपरा आखिर कैसे शुरू हुई.
धनतेरस से जुड़ी ये कथा – ऐसी मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था तब सागर की अतल गहराइयों से चौदह रत्न निकले थे. धनवंतरि इन्हीं रत्नों मे से एक हैं. जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब 13 रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 14वें रत्न के रूप में धनवंतरि सामने आए. वो अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे. धनवंतरि के प्रकट होते ही देवताओं और दानवों का झगड़ा शुरू हो गया. अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई. लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर अमृत कलश हासिल कर लिया.
धनवंतरि अमृत यानी जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुए थे और आयुर्वेद के जानकार भी थे, इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है. वैसे तो धन और दौलत की देवी लक्ष्मी देती हैं लेकिन उनकी कृपा पाने के लिए सेहत और लंबी आयु की जरूरत होती है. यही वजह है कि धनतेरस के मौके पर धनवंतरि की पूजा की जाती है. धनवंतरि देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं. इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. माना जाता है कि अगर धनतेरस की शाम में आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाया जाए तो तो अकाल मृत्यु का भय मिटता है. पंडितों का कहना है कि अगर धनतेरस के दिन महामृत्युंजय और नारायण मंत्र को सिद्ध कर लिया जाए तो विपत्तियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है.
ऐसे शुरु हुई धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा- कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को बर्तन खरीदने की परंपरा है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन आप जितनी खरीदारी करते हैं, उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है. इसके अलावा इस दिन चांदी भी खरीदी जाती है. दरअसल चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है जो शीतलता प्रदान करता है. यह स्वास्थ्यकारक भी माना गया है जो निरोगी काया और तेज़ दिमाग देता है. चंद्रमा के प्रभाव से मन में संतोष के धन का वास होता है और इसे सबसे बड़ा धन कहा गया है. जिसके पास संतोष और स्वास्थ्य है, उसी को सबसे धनवान माना जाता है.
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