नई दिल्ली: Chandrayaan-3 इस समय चांद की यात्रा पर है. वह 170 km x 4313 km वाली अंडाकार चांद की ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. चंद्रयान-3 द्वारा भेजी गई पहली तस्वीरों ISRO ने जारी की है. इन तस्वीरों में चांद में गड्ढे (Crater) नजर आ रहे हैं. क्या आप जानतें हैं चांद पर इतने गड्ढे क्यों हैं.
अकसर हम किसी की तारीफ में कह देते हैं कि चांद सी खूबसूरती है. लेकिन चंद्रयान-3 द्वारा भेजी तस्वीरें दिखा कर उसकी तारीफ इस तरह से करें तो सामने वाला भड़क जाएगा. क्योंकि चांद पर हजारों गड्ढे नजर आ रहे हैं. क्या आपको पता है कि इतने गड्ढे कैसे बने.
बता दें कि चांद के पास अपनी रोशनी तक नहीं है, वह सूरज से रोशनी उधार लेकर जगमगाता रहता है. पृथ्वी और चांद की यात्रा लगभग एकसाथ शुरू हुई. तकरीबन 450 करोड़ साल पहले यात्रा शुरू करने के बाद आज तक दोनों पर लगातार अंतरिक्ष से आने वाले पत्थर, उल्कापिंड गिरते रहे हैं.
इन्हीं पत्थर और उल्कापिंड के कारण यहां गड्ढे बने हैं और बन रहे हैं. इन्हें दूसरे शब्दों में इम्पैक्ट क्रेटर भी कहा जाता है. पृथ्वी पर अभी तक ऐसे 180 इम्पैक्ट क्रेटर की खोज की जा चुकी है. चांद पर करीब 14 लाख गड्ढे हैं.
इनमें से 9137 से ज्यादा क्रेटर की पहचान की गई है. मजेदार बात यह है कि 1675 की तो उम्र का भी पता लगाया जा चुका है. एक दिलचस्प बात और है, इसके अलावा भी चांद पर गड्ढे हैं जिसे इंसान अभी तक देख नहीं पाए है. इसका कारण उस हिस्से पर पसरा अंधेरा है.
चांद की सतह पर मौजूद गड्ढे सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर ही नहीं है. कुछ गड्ढे ज्वालामुखी विस्फोट से भी बने हैं. यह करोड़ो साल पहले की बात है. अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी NASA ने चांद पर सबसे बड़े गड्ढा का पता 17 मार्च 2013 को लगाया था. जब एक 40 किलोग्राम का पत्थर चांद की सतह से 90 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से टकराया था.
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