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    छात्र क्यों कर रहे आत्महत्या? राज्यसभा में उठा कोटा कोचिंग सेंटरों में सुसाइड का मुद्दा, सुशील कुमार मोदी ने की यह मांग

  • December 05, 2023

    नई दिल्ली: राज्यसभा (Rajya Sabha) में मंगलवार को शून्य काल के दौरान सदस्यों ने शैक्षणिक व कोचिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या (suicide of students) से जुड़ी घटनाओं में हो रही वृद्धि और बड़ी संख्या में महिलाओं के लापता होने पर चिंता जताई. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शून्यकाल में राजस्थान के कोटा स्थित कोचिंग संस्थानों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्रों द्वारा की जा आत्महत्या के बढ़ते मामलों की ओर उच्च सदन का ध्यान आकृष्ट कराया.

    सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘पिछले एक साल में सिर्फ कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के 26 मामले सामने आए हैं. इंजीनियरिंग संस्थानों में बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले आ रहे हैं. यह चिंता का विषय है.’

    सुशील कुमार मोदी ने केंद्र व राज्य सरकारों से छात्रों में आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए एक आयोग गठित किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘छात्र आत्महत्या को क्यों बाध्य हो रहे हैं? क्या उन पर उत्तीर्ण होने का भारी दबाव होता है?’ सुशील मोदी ने शिक्षण व कोचिंग संस्थानों में विशेषज्ञ और परामर्शदाताओं को भी बहाल करने की मांग की.


    ग्राम प्रधान व महापौर जैसे छोटे जनप्रतिनिधियों को वेतन-भत्ते व पेंशन का लाभ देने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने और मनरेगा कानून के तहत राज्यों के लिए कोष जारी करने की मांग भी उठाई. बीजेपी के ही राधामोहन दास अग्रवाल ने समान काम के बदले समान वेतन का मुद्दा उठाते हुए जमीनी स्तर पर काम करने वाले ग्राम पंचायत के प्रधान व मेयर के लिए भी वेतन-भत्ते और पेंशन की सुविधा दिए जाने के वास्ते आवश्यक संविधान संशोधन की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्र के मंत्री, सांसद, राज्य सरकारों के मंत्री व विधायक को वेतन-भत्ते के साथ पेंशन की भी व्यवस्था है लेकिन दुखद है कि ग्राम प्रधान और मेयर जैसे जमीनी जन प्रतिनिधियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

    अग्रवाल ने कहा, ‘योजनाओं को धरातल पर लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. वे प्रत्यक्ष रूप से जनता के बीच रहते हैं और उनके लिए काम करते हैं. उन्हें भी वेतन-भत्ते के साथ पेंशन का अधिकार है लेकिन उनके साथ सौतेला व दोहरा आचरण अपनाया जा रहा है.’ उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किन कारणों से उनके लिए यह व्यवस्था नहीं है. अग्रवाल ने कहा, ‘यह दोहरा आचरण समाप्त होना चाहिए. संविधान के 73वें व 74वें अनुच्छेद में संशोधन कर इन जनप्रतिनिधियों के लिए वेतन-भत्ते और पेंशन की व्यवस्था की जाए.’

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