आमतौर पर हम दखते हैं कि कुछ लोग हर सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक (Tilak) लगाते हैं। वहीं, कुछ लोग खास अवसरों पर टीका करते हैं। अगर आप ध्यान देंगे तो आपको याद आएगा कि तिलक करने के बाद सभी माथे पर चावल (Rice) भी जरूर लगाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि तिलक के बाद चावल लगाना जरूरी क्यों माना जाता है (Why Rice Is Applied After Tilak)? धार्मिक (Religious) पक्ष के अलावा भी इसके पीछे कई वजहें हैं।
अलग-अलग तरह के होते हैं तिलक
माथे पर सबसे ज्यादा कुमकुम (Kumkum) यानी रोली का तिलक लगाया जाता है। उसके अलावा चंदन, केसर आदि के तिलक (Tilak) भी लगाए जाते हैं। बात चाहे पूजा के तिलक की हो, किसी शुभ काम (Auspicious Work) के लिए जाने से पहले लगाया जा रहा हो या यूंही आपकी रोजाना की दिनचर्या (Lifestyle) में शामिल हो, इन सभी में एक बात कॉमन होती है कि तिलक करने के बाद उसके ऊपर कुछ दाने चावल के भी लगाए जाते हैं। आज जानिए इसके पीछे के कुछ तर्क।
सफलता का प्रतीक होते हैं चावल
चावल को हवन में देवी-देवताओं (Gods and Goddesses) को चढ़ाने वाला सबसे शुद्ध अन्न माना जाता है। चावल को अक्षत भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि उसका कभी नाश नहीं हो सकता है। किसी भी कार्य की सफलता के लिए चावल का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही हिंदू धर्म में चावल को संपन्नता का प्रतीक (Rice Significance) भी माना जाता है।
चावल से मिलती है पॉजिटिव एनर्जी
कई लोगों का मानना है कि माथे पर लगे तिलक पर चावल लगाने से पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) मिलती है और इसलिए भी चावल का इस्तेमाल किया जाता है। इसी वजह से चावल को न सिर्फ माथे पर लगाया जाता है, बल्कि उसके बाद सिर पर और आस-पास भी चावल को फेंका जाता है ।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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