नई दिल्ली। कोरोना वायरस (COVID-19) पूरी दुनिया में आतंक मचा रहा है। कोरोना के एक और खतरनाक वेरिएंट ओमीक्रोन (Omicron) के आने के बाद देश में रोजाना इससे संक्रमित होने वालो की संख्या दो लाख पार हो चुकी है। इस वायरस का टीका लगने के बाद भी लोग इसकी चपेट में आ रहे है। हाल ही में कुछ ऐसे केस भी देखे गए हैं जिनमें लोगों को एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना मिली है। इसे पुन: संक्रमण (reinfection) कहा जाता है।
इस तरह के मामलों ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। ऐसे में कोविड-19 और ओमीक्रोन के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करने पड़े हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी हो गया है कि टीका लगवाने के बाद भी कोरोना क्या हो रहा है और इसके लिए क्या किया जा सकता है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, रीइन्फेक्शन तब होता है, जब कोई व्यक्ति एक बार संक्रमित होकर ठीक हो जाता है और फिर से संक्रमित हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित हो जाता है, उसके आधार पर कुछ पुन: संक्रमण की आशंका होती है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अध्ययन ने सलाह दी कि कोविड-19 से संक्रमित लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण से ठीक होने के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ सकती है,जिसकी 90 दिनों से अधिक तक बनी रहने की सम्भावना होती है। इस अवधि के बाद संक्रमण का जोखिम हो सकता है जैसा कि टीके के मामले में भी है। एक इंटरव्यू में मुंबई स्थित मासीना हॉस्पिटल में कंसल्टिंग चेस्ट फिजिशियन डॉ सुलेमान लधानी ने बताया कि टीके से बढ़ी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी एक समय के बाद कम हो रही है और लोग संक्रमित हो रहे हैं। उच्च जोखिम में काम करने वाले लोग जैसे की स्वास्थ्यकर्मियों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों भी दोबारा संक्रमण का खतरा अधिक है।
अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट डॉ एमडी मुबाशीर अली ने बताया कि, महीने में दो या तीन बार पॉजिटिव होने का मतलब यह भी हो सकता है कि घातक वायरस अभी भी मरीज के शरीर में मौजूद है। किसी पॉजिटिव के लक्षण दिखने के बाद बाद वायरस को गायब होने में औसतन लगभग 30 दिन लगते हैं। यह अधिक समय तक मौजूद रह सकता है। हालांकि बुजुर्ग या गंभीर बीमारी वाले लोगो में ज्यादा दिनों तक रह सकता है।
कोई भी व्यक्ति कई बार कोविड पॉजिटिव हो सकता है क्योंकि कोविड टेस्ट से पता चलता है कि वह एक विशेष कोविड संक्रमण का रूप है। अन्य वायरसों की तरह सार्स-को-2 भीa वे अपने आनुवंशिक कोर को संशोधित करते हैं, जो अनिवार्य रूप से वायरस का केंद्रक है। जब यह मूल सामग्री को बदल देता है, तो यह एक नए वायरस की तरह व्यवहार करना शुरू कर देता है और इसलिए प्रतिरक्षा हमें उसी कोविड वायरस के रूप में नहीं पहचानती है, जिसे हम पहले संक्रमित कर चुके थे।
एक्सपर्ट्स का मानना हैं कि दोबारा संक्रमित होने के मामले में ऐसा नहीं है कि एंटीबॉडी काम नहीं रही है। लेकिन एक संभावना यह भी है कि कुछ लोग संक्रमण के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी रेस्पोंस नहीं दे रही हो, जिसकी वजह से वो पर्याप्त प्रतिरक्षा विकसित नहीं कर पा रहे हों। ऐसी स्थिति में उनके शरीर में फिर से संक्रमण का खतरा हो सकता है। बार-बार संक्रमित होना चिंताजनक हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह संक्रामक है और संक्रमण को आसपास के अन्य लोगों तक पहुंचाएगा। हो सकता है कि उस समय उसमें कोई सक्रिय संक्रमण न हो। पॉजिटिव लोगों को कोरोना के नियमों का पालन करना चाहिए। वो मास्क पहनें, सामाजिक दूरी बनाए रखे और हाथों को साफ करे, घर पर रहें, घर पर किसी को नहीं आने दे।
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