नई दिल्ली: न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दायरे में लाने की मांग कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. इस मीटिंग में 12 किसान नेताओं ने राहुल से एमएसपी की गारंटी पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने की मांग रखी. राहुल ने सभी किसान नेताओं को से कहा है कि इंडिया गठबंधन से बात करके इस पर जल्द अंतिम फैसला लूंगा.
प्राइवेट मेंबर बिल संसद में विधेयक का एक प्रारूप होता है, जो आम सांसदों की ओर से पेश किया जाता है. संसद में इस बिल के पास होने की संभावनाएं बहुत ही कम होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि विरोध कर रहे किसान आखिर में इस बिल को संसद में पेश करने की मांग क्यों कर रहे हैं?
यह एक विधेयक है, जिसे संसद में मंत्री के बदले लोकसभा के सांसद पेश करते हैं. मंत्री जो विधेयक पेश करते हैं, उसे सरकारी विधेयक कहा जाता है. वहीं सांसद द्वारा पेश करने की वजह से इसे निजी विधेयक कहा जाता है. निजी विधेयक राज्यसभा या लोकसभा किसी में भी पेश किया जा सकता है. सदन में स्पीकर और सभापति के विचार करने के बाद इस पर बहस कराई जाती है. बहस के बाद जरूरत पड़ने पर वोटिंग भी कराई जाती है.
देश के इतिहास में अब तक 14 निजी विधेयक कानून बन गए हैं. इनमें लोकसभा की कार्यवाही और सांसदों के वेतन भत्ते से जुड़े निजी विधेयक महत्वपूर्ण है. आखिरी बार 2021 में राज्यसभा में संविधान के प्रस्तावना में संशोधन को लेकर एक प्राइवेट मेंबर बिल सुर्खियों में आया था. संसद के वर्तमान सत्र में भी एक प्राइवेट बिल को राज्यसभा में पेश किया गया है. यह बिल आरजेडी सांसद एडी सिंह ने पेश किया है. सिंह का कहना है कि संविधान के बड़े पदों पर बैठे लोगों के राजनीति में आने के लिए नियम और कानून बनाने पर विचार हो.
बड़ा सवाल यही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसान संगठन प्राइवेट मेंबर बिल लाने की मांग क्यों कर रहा है? किसान संगठन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सरकार इस बिल को लेकर बात नहीं करना चाहती है. विपक्ष के पास इस बिल को लाने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं है.
2 दिन पहले विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ किसान संगठनों की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में मौजूद संयुक्त किसान संगठन के परमजीत सिंह कहते हैं- किसानों की मांग है कि विपक्ष कम से कम हमारी आवाज को संसद तक पहुंचाए. सिंह के मुताबिक अगर यह बिल पेश नहीं हो पाता है या गिर जाता है तो इससे सरकार की ही किरकिरी होगी, क्योंकि सरकार ने अब तक खुलकर यह नहीं कहा कि एमएसपी को लीगल गारंटी के दायरे में नहीं रखा जा सकता है.
सिंह आगे कहते हैं- 2021 में जब 3 कृषि कानून को सरकार ने वापस लिया था. उस वक्त एक समझौते के तहत सरकार ने वादा किया था कि वो जल्द ही एमएसपी को लीगल गारंटी के दायरे में लाएगी. हाल ही में एमएसपी को लेकर सदन में ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कृषि शिवराज सिंह चौहान भिड़ गए थे. राहुल ने सदन में कहा था कि किसानों को एमएसपी ठीक ढंग से नहीं मिल पा रहा है.
किसान संगठनों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उसके बाहुल्य वाले इलाकों में बीजेपी की हार हुई है, उससे पार्टी सदन में उनके मुद्दों को जरूर सुनेगी. इतना ही नहीं, आने वाले वक्त में जिन 3 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं उनमें हरियाणा और महाराष्ट्र किसान बाहुल्य ही है.
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