नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कई कारणों में से एक शहर में चलने वाले डीजल वाहन हैं. हाल ही में एक स्टडी से पता चला है कि ज्यादातर डीजल कारें समय से पहले ही अनफिट हो जाती हैं. इसका मतलब यह है कि ये कारें प्रदूषण की निर्धारित सीमा से ज्यादा उत्सर्जन कर रही हैं. रिचर्स में दिल्ली में चलने वाली डीजल कारों को शामिल किया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिसर्च को स्प्रिंगर के एनवायरमेंट साइंस और पॉल्यूशन रिचर्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस रिसर्च का मकसद राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली कारों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रभाव का पता लगाना था. यह रिचर्स दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर राजीव कुमार मिश्रा के नेतृत्व में की गई थी.
7.5 साल साल में अनफिट हो रही हैं डीजल कारें
रिसर्च के लिए दिल्ली में रजिस्टर्ड 460 से ज्यादा कारों पर निगरानी की गई थी. इसमें पाया गया कि ज्यादातर BS-III उत्सर्जन मानदंडों वाली डीजल कारें 9 साल या 1,25,000 किमी चलने के बाद अनफिट हो जाती हैं. वहीं, BS-IV उत्सर्जन मानदंडों वाली डीजल कारें इनसे भी पहले यानी 7.5 साल या 95,000 किमी चलने के बाद उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप नहीं रह पाती हैं. रिसर्च में कहा गया है कि दोनों ही मामलों में इस तरह की करों को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट के रिन्यूअल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
जल्द अनफिट हो सकते हैं नए वाहन
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि BS-III उत्सर्जन मानदंडों वाली डीजल कारें अनफिट होने की उम्र करीब 9 साल है, जो दिल्ली में डीजल कारों की अधिकतम उम्र 10 साल के करीब है. चिंता की बात यह है कि बीएस-IV वाहनों के अनफिट होने की अनुमानित उम्र 7.5 साल है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि BS-VI के उत्सर्जन मानदंड वाले वाहनों की उम्र इससे भी कम हो सकती है.
स्क्रैपिंग पॉलिसी में होना चाहिए बदलाव
रिचर्स में साथ देने वाले अभिनव पांडे ने कहा कि अगर सभी डीजल कारों का रखरखाव नहीं किया जाता है, तो डीजल कारें समय से पहले दिल्ली की सड़कों पर चलने लायक नहीं रहेंगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में डीजल कारों के कुल संख्या का लगभग 5-8% बीएस-III टाइप हैं. BS-VI वाहन 1 अप्रैल 2020 के बाद शुरू हो गए थे. इससे साफ है कि केवल उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि कार के माइलेज और प्रदूषण के स्तर पर विचार करते हुए स्क्रैपिंग पॉलिसी में सुधार करना चाहिए.”
इस तरह बढ़ाई जा सकती है कारों की उम्र
अच्छी बात यह है कि बेहतर रखरखाव वाली कारें भले ही पुरानी हो और ज्यादा माइलेज देती हों, रिचर्स में इन कारों को बीएस-IVऔर बीएस-III दोनों मानदंडों के अनुरूप पाई गई हैं. इससे साफ है कि डीजल कारों के सही रखरखाव से इनकी उम्र को बढ़ाया जा सकता है. इन कारों में इंजन ट्यूनिंग, रेगुलर सर्विसिंग और एमिशन कंट्रोल की सही देखभाल करना जरूरी है. रिचर्स में पता चला है कि अगर डीजल कारों का रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे समय से पहले BS-IV और III दोनों मानदंडों के अनुरूप नहीं होंगी.
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