नई दिल्ली। दुनिया भर में ज्यादातर लोग लिखने के लिए सीधे हाथ यानी दाहिने हाथ का इस्तेमाल करते हैं। एक सर्वे के अनुसार दुनिया में केवल 10 फ़ीसदी लोग वहीं हैं हाथ यानी लेफ्ट हैं हाथ से लिखते हैं जबकि 90% लोग खाने-पीने से लेकर गेम्स खेलने (play games) तक दाहिने हाथ का इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर लोगों का दाहिने हाथ का इस्तेमाल करने के लिए पीछे साधारण सा विज्ञान है। इसके पीछे 2 कारण हैं, एक तो है हमारा दिमाग और दूसरा है हमारा DNA।
आप यह तो जानते ही हैं कि हमारे दिमाग का जो लेफ्ट वाला हिस्सा होता है, वह हमारे शरीर के राइट वाले हिस्सों और अंगों को कंट्रोल करता है। इसी तरह हमारे ब्रेन का राइट वाला हिस्सा हमारे शरीर के लेफ्ट पार्ट को कंट्रोल करता है। साइंस (science) में बताया गया है कि जब हम कोई नई भाषा बोलना या लिखना सीखते हैं तो हमारे दिमाग का लेफ्ट वाला हिस्सा, राइट वाले हिस्से से ज्यादा इस्तेमाल होता है। ऐसे में ब्रेन के लेफ्ट वाला हिस्सा हमारे राइट हैंड यानी दाएं हाथ को निर्देश देता है।
हमारे लेफ्ट हैंड से लिखने की स्थिति ऐसे बनेगी, जब हमारा दिमाग भाषा और डेटा (brain language and data) को प्रोसेस करे के राइट हिस्से में ट्रांसफर करेगा और फिर राइट साइड वाला हिस्सा (right side part) उन सिग्नल्स को समझ कर हमारे राइट हैंड को लिखने का निर्देश देगा। यह प्रक्रिया लंबी भी होगी। यानी इसमें समय तो लगेगा ही, अतिरिक्त ऊर्जा भी खर्च होगी। तो समय और एनर्जी दोनों को बचाने के लिए हमारा ब्रेन हमें राइट हैंड से लिखने का निर्देश देता है। या यूं कहें कि ब्रेन हमें मजबूर करता है कि हम दाएं हाथ से ही लिखें।
बाकी बचे लगभग 10% लोग लिखते समय बाएं हाथ यानी left hand का इस्तेमाल क्यों करते हैं। दरअसल बचपन में बहुत से लोगों के दिमाग में energy management के पैटर्न विकसित नहीं होते हैं। इस वजह से उनका दिमाग कभी भी उन्हें Indirectly मजबूर नहीं करता कि वो right hand से लिखें। इस तरह के लोग अधिकतर कामों को Left Hand से ही करते हैं, या फिर किसी भी हाथ से कुछ भी करने में सक्षम होते हैं। उन्हें किसी एक हाथ के इस्तेमाल की बाध्यता नहीं होती है।
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