तिरुपति के प्रसाद की बड़ी महिमा है…इस महिमा को अब तक तो भक्त ग्रहण करते रहे, लेकिन अब इसे राजनीतिक दल ग्रहण कर रहे हैं…नए-नवेले मुख्यमंत्री ने पहले इस प्रसाद में जगन सरकार को घोला… फिर उसमें चर्बी की मिलावट का दोष दिखाया और अपने परम गुरु मोदी सहित पूरी भाजपा को चढ़ावा चढ़ाया… इस प्रसाद की महिमा ने ऐसा रंग दिखाया कि पिछले पांच दिनों से देशभर के चैनल चटखारे ले-लेकर स्वाद का बखान सुना रहे हैं…सारे नेता मजमा जमा रहे हैं…बिना चखे प्रसाद के स्वाद पर ज्ञान बांटते नजर आ रहे हैं… नेता तो नेता धर्मगुरु से लेकर आचार्य-शंकराचार्य तक प्रसाद के लड्डू बने जा रहे हैं… सही कहें तो यह मिलावटी लड्डू बड़ी शुद्धता के साथ चंद्रबाबू नायडू से लेकर तमाम राज्य और केंद्र सरकार के नेताओं के मन में फूटते नजर आ रहे हैं…विरोधी सर खुजा रहे हैं…जगन और उनके हिमायती लड्डुओं पर लानत भेजते नजर आ रहे हैं…लेकिन हकीकत यह है कि भक्त तो भगवान पर भरोसा करता है…उसके नाम पर ग्रहण किए प्रसाद में भगवान की भक्ति का रस लेता है…तिरुपति बालाजी के जिस मंदिर के प्रसाद को लेकर यह बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है, वहां भक्त तन और मन से ही नहीं, बल्कि धन से भी समर्पित रहता है…मंदिर का खजाना इस कदर भरा रहता है कि यदि वो धन प्रसाद में बंट जाए तो देश की गरीबी एक दिन में दूर हो जाए…लेकिन अमीर मंदिर के मठाधीशों की कंजूसी का आलम यह है कि लड्डुओं के लिए 380 रुपए किलो की कीमत का ‘शुद्ध’ घी खरीदा जाता है…अब जो घी सप्लाय करने वाला इस कीमत में घी बेचेगा वो शुद्ध कैसे होगा…प्रसाद कांड में लपेटे में आए पूर्व मुख्यमंत्री जगन का कहना है कि उनकी सरकार के समय 18 बार घी के सैंपल फेल हुए और सप्लायर बदले गए, लेकिन हर कंपनी को इस कदर निचोड़ा गया कि उनका दूध पानी बन गया और पानी से घी बनाने का चमत्कार मंदिर में चलता रहा…इस पूरे झमेले में चंद्रबाबू नायडू के मन में फूटे लड्डुओं ने असर दिखाया और उन्होंने नई नंदिनी गाय पाल ली…इस गाय, यानी कंपनी के घी सप्लाय का ऑर्डर तीन सौ टन से बढ़ाकर तीन हजार टन कर दिया गया और दाम भी बढ़ा दिए…अब घी मंदिर में सप्लाय होगा और मक्खन नायडू के हिस्से में जाएगा…तिरुपति मंदिर के दान को लेकर जितनी चर्चा है उतने ही चौंकाने वाले आंकड़े लड्डू के हैं… मंदिर में हर दिन साढ़े तीन लाख लड्डू बंटते हैं और उन लड्डुओं पर हर साल ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च होते हैं…श्रद्धा का यह सालाना व्यापार हर कोई हड़पना चाहता है…स्वाद और शुद्धता का यह घमासान इसीलिए रचा गया है… लेकिन हकीकत यह है कि जो साक्षात अवतरित विष्णु अवतार को लगने वाले भोग का भोग करना चाहेगा वो किस रोग से बच पाएगा…संग्राम के लिए पूरा संसार पड़ा है…मंदिर पर नजर लगाने वाला दुनिया में कहां नजर आएगा…
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