नई दिल्ली (New Delhi)। इस सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस (General Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने दुनिया को चेतावनी दी कि मौसम के जरूरत से ज्यादा गर्म होने के कारण डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी का खतरा (diseases like dengue chikungunya risk increase) बढ़ सकता है. अल नीनो (al Nino) की चार साल बाद वापसी हो रही है. इससे दुनिया भर में बेहद गर्म मौसम और कृषि व्यवधान का खतरा मंडरान लगा है। मन में सवाल उठना लाजमी है कि अल नीनो आखिर है क्या? दरअसल, उष्ण कटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव को एल नीनो कहा जाता है जो पूरे विश्व के मौसम को अस्त-व्यस्त कर देता है. यह बार-बार घटित होने वाली मौसमी घटना है।
मच्छर जो इस वायरस को तेजी से फैलाते हैं वो गर्म मौसम में खूब फलते फूलते हैं. इसके चलते अल नीना वायरस दुनिया भर के देशों में फैलने वाला है। ट्रॉपिकल बीमारियां (उष्णकटिबंधीय बीमारियां) पहले से ही साउथ अमेरिका के देशों में बढ़ रही है. एशिया में भी इसका काफी अधिक खतरा मंडरा रहा है. पेरू जैसे देश पहले ही इस साल जरूरत से ज्यादा डेंगू के मामले बढ़ने पर स्टेट इमरजेंसी घोषित कर चुके हैं। पेरू में इस साल रिकॉर्ड डेढ़ लाख डेंगू के मामले सामने आए।
डेंगू-चिगनगुनिया बढ़ाएगा टेंशन
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह चेतावनी दी है कि संक्रमण देश के हेल्थ सिस्टम पर काफी ज्यादा बर्डन डाल सकता है. थाईलैंड में जून के पहले सप्ताह के दौरान ही 19,503 डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं। यह बीते तीन सालों में सबसे ज्यादा हैं. कंबोडिया और मलेशिया जैसे देशों में भी डेंगू के केस केस तेजी से बढ़ रहे हैं. सिंगापुर की तरफ से भी जून से अक्टूबर के बीच मामले बढ़ने की चेतावनी जारी की गई है।
अन्य बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही है. साउथ अमेरिकी देश परागुआ में पिछले साल के अंत से लेकर अबतक चिकनगुनिया से मौत के 40 मामले सामने आ चुके हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved