मथुरा। देश भर में करवा चौथ (Karva Chauth) का त्योहार सुहागिनें हर्ष और उल्लास के साथ मनाती हैं. अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत (fasting for long life and health) रखती हैं. शृंगार कर पूजा अर्चना(Worship and all) करती हैं और चांद के दिखने का इंतजार करती हैं, लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां पर सुहागिन महिलाएं मन ही मन इस दिन के नहीं आने की प्रार्थना करती हैं. क्योंकि यदि इस गांव की किसी महिला ने करवा चौथ का व्रत (karva chauth fasting) रख लिया तो उसके पति के साथ कुछ अनहोनी होनी तय है. ये गांव है मथुरा का सुरीर, यहां स्थित मोहल्ला भगा में रहने वाली महिलाओं के बीच एक डर(fear in women) है. वो डर है सती के श्राप का. इसलिए महिलाएं यहां पर सती की पूजा करती हैं. इनका मानना है कि करवा चौथ का व्रत रखने से इनके पति की उम्र कम हो जाएगी.
क्या है श्राप की कहानी
स्थानीय लोगों के अनुसार करीब 250 साल पहले थाना नौहझील क्षेत्र के कस्बा राम नगला निवासी ब्राह्मण दंपति जावली से भैंसा बुग्गी पर सवार होकर सुरीर होते हुए राम नगला जा रहे थे. इसी दौरान मोहल्ला भगा के लोगों ने दंपति को रोक लिया और बुग्गी में लगे भैंसे को अपना बताते हुए वाद-विवाद करने लगे. विवाद बढ़ा और किसी ने ब्राह्मण युवक के सिर में डंडा मार दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. पति की मौत से गुस्सा होकर ब्राह्मण स्त्री ने मोहल्ले के लोगों को श्राप देते हुए कहा कि इस मोहल्ले में कोई भी महिला करवा चौथ और अघोई अष्टमी का व्रत नहीं रखेगी. जिस तरह कम आयु में मैं विधवा हुई हूं, ऐसे ही इस मोहल्ले की महिलाएं भी विधवा होंगी. श्राप देने के बाद ब्राह्मण महिला अपने पति के साथ सती हो गई.
फिर शुरू हुआ मौत का सिलसिला
लोगों की मान्यता है कि इसके बाद सती के श्राप के चलते मोहल्ले में युवाओं की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. दर्जनों महिलाएं विधवा हो गईं. सती के क्रोध को शांत करने के लिए सती मां के मंदिर की स्थापना की गई. यहां पर सती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि सती का श्राप कुछ कम तो हुआ है, लेकिन अभी भी नवविवाहिता महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखने से परहेज करती हैं. कहा यह भी जाता है कि रामनगला के लोग कस्बा सुरीर का पानी भी नहीं पीते हैं.
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