मलाबो (Malabo)। दुनिया अभी तक कोरोना से उभर नहीं पाई कि आए दिन नए-नए वायरस (New Viruses) और पैदा हो रहे है जिससे लोगों की और चिंता बढ़ती जा रही है। अब ऐसा ही एक वायरस अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में फैल गया है, जहां हजारों की संख्या में लोग बीमार हो गए हैं। यह मारबर्ग वायरस (marburg virus) बहुत ही संक्रामक है और इबोला (marburg virus) की तरह ही घातक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस संक्रमण को देखते हुए अपनी निगरानी को तेज कर दिया है।
अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में कुछ लोग एक अंतिम संस्कार में शामिल हुए और इसके कुछ दिन बाद इनमें से 9 लोगों में एक जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए और फिर इन लोगों की मौत हो गई… मारबर्ग वायरस के संक्रमण की शुरुआत कुछ इसी तरह से हुई है, हालांकि, इक्वेटोरियल गिनी के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जिन दो गांवों के लोगों में ये संक्रमण पाया गया, फिलहाल वहां किसी के भी जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ताजा जानकारी के अनुसार, वो लोग भी क्वारंटाइन का पालन कर रहे हैं, जो संक्रमित लोगों से सीधे जुड़ाव में रहे हैं।
वायरस के संक्रमण का डर क्या होता है, ये कोरोना ने पूरी दुनिया को बता दिया. साल 2019 के अंतिम महीनों में शुरू होकर देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले इस वायरस का डर और आफ्टर इफेक्ट्स अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुए कि अफ्रीकी देशों में मारबर्ग वायरस ने कोहराम मचा दिया है. यूं तो ये वायरस कोई नया नहीं है और इसके संक्रमण की खबरें पहले भी आती रही हैं लेकिन इस बार जिस स्केल पर इसका संक्रमण फैल रहा है, उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नींद उड़ा दी है।
मारबर्ग वायरस के बारे में सबसे अधिक डराने वाली बात ये है कि इससे संक्रमित होने वाले लोगों में मृत्युदर 88 प्रतिशत तक है. यानी 100 लोगों में से 88 लोगों की जान बच पाना लगभग असंभव होता है. मारबर्ग वायरस के संक्रमण और इसके लक्षणों के बारे में बात करते हुए काउंसिल ऑफ सायंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायॉलजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र नारायण कहते हैं कि मारबर्ग उसी फिलोवीरिदा फैमिली का वायरस है, जिससे इबोला वायरस आता है और ये मुख्य रूप से चमगादड़ के जरिए फैलता है!
बहुत अधिक थकान और कमजोरी
फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं
ताजा वायरस के संक्रमण पर बात करते हुए डॉक्टर जितेंद्र नारायण कहते हैं कि इक्वेटोरियल गिनी में जो मारबर्ग वायरस का संक्रमण फैल रहा है, साल 2004-05 के बाद ये अब तक का इस वायरस का सबसे तेज प्रसार है। पिछले 10 साल में इस वायरस के संक्रमण के गिने-चुने मामले ही सामने आते थे. हालांकि वर्ष 2004-05 में अंगोला में इस वायरस से संक्रमित होने वाले 252 लोगों की सूचना मिली थी, जिनमें से 227 की मृत्यु हो गई थी. इस वायरस को इबोला की तरह खतरनाक माना जा रहा है और ये बहुत तेजी से संक्रमण फैला रहा है। चिंता की बात ये है कि इसके लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
मारबर्ग वायरस का इलाज क्या है?
मारबर्ग वायरस की जांच और इलाज पर डॉक्टर नारायण कहते हैं कि कई मामलों में मलेरिया, टाइफाइड बुखार, शिगेलोसिस, मेनिन्जाइटिस, और अन्य संक्रामक बुखार जिनमें शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है, उनसे इस वायरस के लक्षणों को अलग करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इस वायरस की जांच के लिए एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट, सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट, आरटी-पीसीआर और सेल कल्चर मेथड का यूज किया जाता है. कंफर्मेशन के बाद लक्षणों के आधार पर दवाएं उपयोग की जाती है और लिक्विड डायट, ग्लूकोज आदि पेशेंट को देते हुए डिहाइड्रेशन से बचाने का प्रयास किया जाता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved