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    WHO की चेतावनी, कहा एंटीबायोटिक दवाएं हो रहीं बेसर, जानिए कैसे ?

  • December 13, 2022

    नई दिल्‍ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) समय-समय पर ऐसी रिपोर्ट पेश करता है कि सुनने वालों के भी होश उड़ जाते हैं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर (Antibiotic Resistance ) हो गई हैं। इतना ही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दवाओं के नाम भी बताए हैं। साथ ही इनके नुकसानों को लेकर कुछ बड़े खुलासे भी किए हैं। वैसे भी हम खांसी-जुकाम और बुखार में अक्सर एंटीबायोटिक (antibiotics) दवाएं लेते हैं। इसके अलावा कई बार यूटीआई और शरीर की कई समस्याओं के लिए एक कारगर दवा के रूप में भी एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।

    आपको बता दें कि दुनिया के 127 देश अपने यहां का डाटा WHO के साथ शेयर करते हैं कि उनके देश में Anti microbial resistance यानी एंटीबायोटिक्स के बेअसर होने की स्पीड क्या है। इसी डाटा के आधार पर इस रिपोर्ट में ये आंकलन किया गया है कि फिलहाल दुनिया की स्थिति कैसी है? रिपोर्ट का नाम है- ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस एंड यूज सर्विलांस सिस्टम (‎GLASS). WHO हर साल सभी देशों से उनका डाटा लेकर एक कॉमन ग्लास रिपोर्ट जारी करता है। इस साल जारी हुए ग्लास रिपोर्ट को Glass Report 2022 कहा जा रहा है।

    2020 में 87 देशों द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ये रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ एंटीबायोटिक (antibiotics) दवाएं बैक्टीरिया के प्रति बेअसर हैं, लेकिन, इनका सेवन खून में जानलेवा संक्रमण का कारण बन सकता है। साथ ही शरीर को कई बैक्टीरिया के खिलाफ उपचार के लिए प्रतिरोधक (Antibiotic Resistance ) बना रहा है। यानी कि आपका शरीर कई बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ ही नहीं पाएगा और ये दवाएं आपके किसी काम नहीं आएंगी।



    पहली बार, ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस एंड यूज सर्विलांस सिस्टम (GLASS) रिपोर्ट में 27 देशों में एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस डेटा का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि बैक्टीरिया में प्रतिरोध के 50% से ऊपर है। यानी जो दवाएं दी जा रही हैं बैक्टीरिया पर उनका कोई असर नहीं हो रहा है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) बताया है कि ब्लड इंफेक्शन के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसका एक बड़ा कारण एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस दवाएं हो सकती हैं। ये क्लेबसिएला न्यूमोनिया (klebsiella pneumoniae) और एसिनेटोबैक्टर एसपीपी (Acinetobacter spp) का कारण बन सकते हैं।

    बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस दवाओं के नाम भी बताए हैं। जैसे कार्बापेनेम (carbapenems antibiotics), जिसके तहत imipenem, meropenem, ertapenem और doripenem जैसी एंटीबायोटिक दवाओं को तैयार किया जाता है। इसके अलावा इस लिस्ट में सिप्रोफ्लोक्सासिन (ciprofloxacin) का भी नाम है, जिसे ओरल इंफेक्शन को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यूटीआई इंफेक्शन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं एम्पीसिलीन (ampicillin) और सह-ट्रिमोक्साज़ोल ( co-trimoxazole) और फ़्लोरोक्विनोलोन (fluoroquinolones) का भी नाम इस लिस्ट में है।

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