नई दिल्ली. कांग्रेस (congress) की नेता प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) के रायबरेली (rae bareli) से चुनाव लड़ने की चर्चा इस बार काफी तेज थी। माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी अपने राजनीतिक (political) जीवन में पहला चुनाव इस बार लड़ सकती हैं। हालांकि इस बार भी ये सब कयास गलत साबित हुए और रायबरेली से राहुल गांधी (rahul gandhi) ने पर्चा खिल किया। वहीं अमेठी (amethi) लोकसभा सीट से भी प्रियंका को मौका नहीं मिला और वहां कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा तौर पर पुराने वफादार को मौका दिया। दोनों ही सीटों पर वोटिंग हो चुकी है, लेकिन अब तक लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर प्रियंका को चुनाव में न उतारने का फैसला किसका था।
इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब दिया। खरगे ने कहा कि यह फैसला सोनिया गांधी, राहुल और खुद प्रियंका का था। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी 30 सालों से राजनीति में हैं और वह बखूबी जानती हैं कि किसे कहां से चुनाव लड़ना चाहिए। खरगे ने कहा, ‘प्रियंका गांधी हमारी स्टार कैंपेनर भी हैं। राहुल गांधी के साथ वह भी प्रचार में जुटी हैं। सोनिया जी की सेहत अच्छी नहीं है। ऐसे में उनकी डिमांड है और हजारों लोग उन्हें सुनने के लिए पहुंचते हैं।’ खरगे ने कहा, ‘राहुल और प्रियंका दोनों ही हमारे नेता हैं। यदि हम दोनों एक ही जगह लगा देंगे तो फिर दूसदू री स्थानों पर क्या होगा। उनको तो सबकी मदद करनी है। हम उनके किसी फैसला का स्वागत करते हैं।’
उन्होंने कहा कि कई अन्य बड़े नेताओं ने चुनाव नहीं लड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि कई लोग तो विधानसभा में उतर चुके थे। इसके अलावा उनकी रणनीति थी कि अपनी बजाय किसी और को मौका दें। खरगे ने कहा कि हमारी इच्छा तो यह थी कि वरिष्ठ नेता पूरे देश में पार्टी के लिए प्रचार करें। हम सभी से चुनाव लड़ने को नहीं कह सकते। हम उन लोगों को मजबूत कर रहे हैं, जो चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन हमारे लिए वे भी अहम हैं, जो पार्टी की रणनीति तैयार कर रहे हैं। खरगे ने कहा कि भाजपा तो आज देश में सभी संस्थानों को कुचल रही है। ऐसी स्थिति में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए यह चुनाव अहम है।
इस दौरान खरगे ने कांग्रेस के महज 328 सीटों पर चुनाव लड़ने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हमने ऐसा रणनीति के तहत किया है क्योंकि साथी दलों के साथ सीट शेयर करनी थी। यही नहीं खरगे ने कहा कि हम 2004 की तरह ही चुनाव जीतने के बाद पीएम पद पर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि हम 2004 के आम चुनाव की तरह ही चौंका देंगे। तब भी चर्चा थी कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार वापस लौट सकती है, लेकिन नतीजों ने चौंका दिया था। खरगे ने कहा कि हमने अपने साथियों के लिए समझौता किया है और अपने इतिहास में सबसे कम सीटों पर लड़ने का फैसला लिया।
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