नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए दुनिया भर में टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहनों पर हेलमेट के उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की हैं. इस गाइडलाइन का मकसद हेलमेट पहनने के लाभों के साथ-साथ सही उत्पादों के बारे में जागरूक करना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यह गाइडलाइन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के विशेषज्ञों की मदद से लेकर आया है.
WHO की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, लोगों को पूरे चेहरे को ढकने वाला हेलमेट पहनना चाहिए. इसमें यह भी कहा गया है कि ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रहने के लिए हेलमेट को कसकर बांधना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऐसे हेलमेट के इस्तेमाल से गंभीर चोटों को 64 प्रतिशत तक और सिर की चोटों को 74 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.
साइरस मिस्त्री की मौत के बाद छिड़ी बहस
नई गाइडलाइन ऐसे समय में आई हैं, जब पिछले सप्ताह एक सड़क हादसे में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत हुई है. इसके बाद भारत में रोड सेफ्टी को लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से शेयर की गई रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल भारत में हुई सभी सड़क दुर्घटनाओं में से 44 प्रतिशत से अधिक दोपहिया वाहन शामिल थे. इनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं तेज रफ्तार के कारण हुई हैं. इन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या लगभग 70,000 थी, जो कुल 1.6 लाख मौतों की का लगभग आधी हैं.
उपयोगी साबित होंगी नई गाइडलाइन
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में टू-व्हीलर वाहनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. डब्ल्यूएचओ में सेफ्टी और मोबिलिटी के प्रमुख डॉ नहान ट्रान ने बताया कि यह नई गाइडलाइन्स टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर पर यात्रा करने वाले लोगों के साथ-साथ पैदल यात्रियों के साथ होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उपयोगी साबित होंगी.
हादसों में जान गंवाने वाले कम उम्र के लोग
डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में हर मिनट लगभग दो लोगों की मौत हो जाती है और हर साल 13 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं. डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि विश्व स्तर पर सड़क दुर्घटनाएं में मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 5 से 29 साल के बीच होती है. फिलहाल सड़क हादसों में दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में भारत की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है.
पैदल यात्री भी होते हैं हादसों के शिकार
आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों का कहना है कि पैदल चलने वाले भी सड़क हादसों के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. 2013 और 2016 के बीच अन्य सभी सड़क दुर्घटना मौतों की दर से पैदल चलने वालों की मौत लगभग दोगुनी हो गई. 2021 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वालों की मौत को तीसरे स्थान पर रखा गया है, जो कि हुई दुर्घटनाओं की कुल संख्या में 12 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है.
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