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    कौन हैं मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज शिल्पी जिन्‍होंने तराशी भगवान राम की मूर्ति?

  • January 02, 2024

    अयोध्या (Ayodhya)। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को होने वाला है. कर्नाटक (Karnataka) के जाने माने मूर्तिकार अरुण योगीराज (Sculptor Arun Yogiraj) के जरिए बनाई गई ‘रामलला’ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर में की जाएगी. बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए किया जाना है.

    बता दें कि बीएस येदियुरप्पा ने अरुण को इस उपलब्धि के लिए बधाई भी दी है. मूर्ति तराशने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से तीन मूर्तिकारों को चुना गया था. अरुण योगीराज इन मुर्तिकारों में से एक थे. अरुण ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में से एक था, जिन्हें रामलला की मूर्ति तराशने के लिए चुना गया था. प्राण प्रतिष्ठा कार्यकर्म के लिए अयोध्या में तेजी से काम चल रहा है.



    कौन हैं अरुण योगीराज?
    अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर शहर के रहने वाले हैं. वह एक प्रसिद्ध मूर्तिकारों के परिवार से आते हैं. उनकी पांच पीढ़ियां मूर्ति तराशने का काम करती चली आ रही हैं. अरुण देश के सबसे प्रसिद्ध मूर्तिकारों में से एक हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में अरुण की तराशी गई मूर्तियों की बहुत ज्यादा मांग होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अरुण की प्रतिभा को लेकर उनकी तारीफ कर चुके हैं. अरुण ने अपनी कुशलता का इस्तेमाल कर एक से बढ़कर एक मूर्तियां बनाई हैं.

    अरुण के पिता योगीराज भी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं. उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण हासिल था. अरुण योगीराज भी बचपन से ही मूर्तिकला के काम से जुड़े रहे हैं. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ वक्त तक एक प्राइवेट कंपनी में काम भी किया. हालांकि, वह अपने भीतर बैठे मूर्तिकार को ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं पाए. यही वजह रही कि उन्होंने 2008 से अपने मूर्तिकला के करियर को शुरू किया.

    इंडिया गेट पर 30 फीट ऊंची सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को अरुण योगीराज ने ही तैयार किया है. नेताजी की 125वीं जयंती से पहले पीएम मोदी ने आजादी की लड़ाई में उनके योगदान के लिए इंडिया गेट पर मूर्ति लगवाने की इच्छा जताई थी. पीएम मोदी की इस इच्छा को पूरा करने का काम अरुण योगीराज ने 30 फीट ऊंची मूर्ति बनाकर किया. उन्होंने पीएम मोदी को दो फीट ऊंची सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी सौंपी थी, जिसके लिए पीएम ने उनका आभार जताया था.

    इन मूर्तियों को भी बना चुके हैं योगीराज
    अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई थी. मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला प्रतिमा, जयचामाराजेंद्र वोडेयार और कई अन्य मूर्तियां अरुण योगीराज के जरिए ही तराशी गई हैं.

    बेटे को मूर्ति बनाते नहीं देख पाईं मां
    अरुण योगीराज की मां सरस्वती ने बताया कि वह अपने बेटी की तरक्की को देखकर बहुत खुश हैं. उन्होंने कहना है कि उनके बेटे ने उन्हें भी रामलला की मूर्ति नहीं दिखाई थी. सरस्वती ने बताया, ‘यह हमारे लिए सबसे खुशी का पल है, मैं उन्हें मूर्ति बनाते हुए देखना चाहती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह मुझे आखिरी दिन ले जाएंगे. मैं प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अयोध्या जाऊंगी.’ उन्होंने बताया, ‘मैं अपने बेटे की तरक्की और उसकी सफलता देखकर खुश हूं. उसकी सफलता देखने के लिए उसके पिता मौजूद नहीं हैं. मेरे बेटे को अयोध्या गए 6 महीने हो गए हैं.’

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