जिनेवा । कोरोना वायरस (Corona virus) से निपटने के लिए ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की तरफ से बनाई गई वैक्सीन (vaccine) के व्यापक इस्तेमाल के लिए WHO ने मंजूरी दे दी है. WHO के पैनल की यह मंजूरी ऐसे में आई है जब वैक्सीन के प्रभाव को लेकर साउथ अफ्रीका में सवाल खड़े किए गए हैं.
इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पैनल ने कहा है कि एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है और इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाना चाहिए. इसका इस्तेमाल उन देशों में भी किया जाना चाहिए जहां साउथ अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट ने वैक्सीन के प्रभाव को कम किया है. WHO के स्ट्रैटजिक अडवायजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्युनाइजेशन (SAGE) ने कहा कि वैक्सीन की दो डोज आवश्यक है और आठ से 12 सप्ताह के अंतराल पर दी जानी चाहिए. पैनल ने यह भी कहा कि वैक्सीन 65 और उससे अधिक की उम्र वालों के लिए भी सुरक्षित है.
सेज के प्रमुख ऐलेजेंद्रो क्राविओटो का कहना है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के प्रभाव को लेकर साउथ अफ्रीका जैसे देशों में सवाल उठे हैं लेकिन इन देशों में भी वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगनी चाहिए. यहां कोरोना वायरस के नए वैरिएंट मिले हैं जिसके खिलाफ वैक्सीन का असर कम देखा गया है लेकिन इन देशों में इस वैक्सीन पर रोक लगाने के पीछे कोई वजह नजर नहीं आती है. बता दें कि साउथ अफ्रीका ने वैक्सीन के कम प्रभावी होने के चलते इसपर रोक लगा दी थी. WHO ने कहा कि COVAX समझौते के मुताबिक फरवरी के मध्य तक रिव्यु के बाद इसके आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में साउथ अफ्रीका में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी. यहां कोरोना वायरस के 501Y.V2 वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन असरदार साबित नहीं हुई थी. हल्के से गंभीर बीमार लोगों पर वैक्सीन काम करती नजर नहीं आई थी. WHO के इम्युनाइजेशन एक्सपर्ट केट ओ ब्रायन ने कहा कि साउथ अफ्रीका को इस संबंध में सलाह देनेे के लिए बातचीत की गई है. गौतरलब है कि साउथ अफ्रीका के अलावा फ्रांस और जर्मनी ने भी 65 साल से अधिक लोगों को यह वैक्सीन देने से रोक लगा दी थी.
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