उज्जैन। उज्जवला योजना के हितग्राही गैस सिलेण्डर की बजाय हीटर पर खाना बना रहे हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि योजना के तहत गैस सिलेण्डर भरने वाले कुछ गैस एजेंसी संचालकों का कहना है। दरअसल योजना के हितग्राहियों को सिलेण्डर भरवाने के लिए हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता है और ऐसी स्थिति में हीटर का उपयोग करना अधिक पंसद है। गैस एजेंसी संचालकों का यह भी कहना है कि हितग्राहियों की संख्या सिलेण्डर भरवाने के मामले में बहुत कम हो गई है।
एक दो बार ही सिलेंडर भरवाया गया
शहरी इलाकों में रहने वाले गरीबों के घरों पर उज्ज्वला के तहत घरेलू गैस कनेक्शन तो लिया गया है, लेकिन उनके घरों पर खाना हीटर पर ही बनता है। इनमें से अधिकांश परिवारों को करीब डेढ़ साल पहले उज्ज्वला योजना के तहत फ्री में गैस कनेक्शन मिला था। इसके बाद से करीब सत्तर फीसदी गरीब ऐसे हैं जिनके द्वारा एक दो बार ही सिलेंडर भरवाया गया है। गरीबों का कहना है कि सिलेंडर भरवाना बहुत महंगा पड़ता है, एक बार भरवाने में हजार रुपए से अधिक लगते हैं। महंगाई के इस दौर में कहां से इतने पैसे लाएं। यह स्थिति तब है, जबकि सरकार ने उज्ज्वला के हितग्राहियों को जुलाई से 200 रुपए की सब्सिडी भी दोबारा देना शुरू कर दिया है। गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि जिन्हें कनेक्शन दिए गए हैं, उनमें से करीब 65-70 फीसदी दोबारा सिलेंडर नहीं भराते हैं। वजह सिलेंडर काफी महंगा होना है। शहरी क्षेत्र के 30- 35 प्रतिशत कनेक्शनधारी ही गैस रिफिलिंग कराने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है।
क्या है उज्जवला योजना
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए उपयोग में आने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देना है। योजना का एक मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना भी है।
इनका कहना है
गैस सिलेण्डर के दाम ग्यारह सौ से अधिक है। इसके
अलावा योजना के हितग्राही सब्सिडी के बाद भी रिफिलिंग इसलिए नहीं करा रहे है क्योंकि दाम ज्यादा है। कुल मिलाकर लगभग एक हजार रूपए तो देने ही पड़ते है, ऐसे में बीते कुछ दिनों से गैस सिलेण्डर भरवाने वाले हितग्राहियों की संख्या कम हो गई है।
2 सुरेश जैन, गैस एजेंसी संचालक
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