नई दिल्ली । दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (omicron) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस पर डब्ल्यूएचओ (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने कहा कि वैक्सीन (Vaccine) की प्रभावशीलता के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। एक तो वैक्सीन ही है, दूसरा उम्र जैसे जैविक कारक हैं।
तेजी से बढ़ रही ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या
स्वामीनाथन ने जोर देते हुए कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यह संक्रमण टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले दोनों लोगों में हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि टीके अभी भी प्रभावी साबित हो रहे हैं क्योंकि भले ही कई देशों में संख्या तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन बीमारी की गंभीरता नए स्तर पर नहीं पहुंची है।
टीके सुरक्षात्मक साबित हो रहे
साथ ही स्वामीनाथन ने इस बात पर राहत भरी सांस ली कि ज्यादातर लोग हल्के इलाज से ठीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि टीके सुरक्षात्मक साबित हो रहे हैं। क्रिटिकल केयर की जरूरत नहीं बढ़ रही है। यह एक अच्छा संकेत है।
स्वामीनाथन ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा कि उम्मीद के मुताबिक टी सेल इम्युनिटी ओमिक्रॉन के खिलाफ बेहतर होती है। यह हमें गंभीर बीमारी से बचाता है। यदि आपने अभी तक टीका नहीं लगाया तो कृपया टीका जल्द लगवाएं।
टीका बचाएगा मृत्यु से
स्वामीनाथन ने बुधवार को डब्ल्यूएचओ प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि वैक्सीन की प्रभावशीलता दो टीकों के बीच थोड़ी भिन्न होती है, हालांकि डब्ल्यूएचओ के सभी आपातकालीन उपयोग सूची के अधिकांश टीकों में वास्तव में सुरक्षा की उच्च दर होती है और टीका कम से कम डेल्टा संस्करण जैसी गंभीर बीमारी में मृत्यु से बचाता है।
पहले भी टीकाकरण में तेजी की बात कह चुकी हैं
कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कोविड-19 टीकाकरण को पूरी दुनिया में विस्तारित करने और मजबूती देने का आह्वान पहले ही कर चुकी हैं। डॉ. स्वामीनाथन ने कहा था कि टीकाकरण को और बढ़ाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वंचित लोगों को भी इस महामारी से सुरक्षा प्रदान की जा सके।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में ही डब्ल्यूएचओ ने इसका इलाज खोजने पर काम शुरू कर दिया था। चीन और इटली कुछ देशों में क्लिनिकल ट्रायल किए गए थे। जहां पहली लहर के दौरान मृत्यु दर बहुत अधिक थी। हमने कुछ सप्ताह के अंदर की 30 देशों में ट्रायल शुरू कर दिए थे। भारत भी इन ट्रायलों का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा था और इसमें उसका काफी अहम योगदान रहा है।
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