नई दिल्ली। भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronaviurus) के बाद म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) यानि ब्लैक फंगस और अब व्हाइट फंगस ने चिंता बढ़ा दी है। बिहार की राजधानी पटना में इस नए फंगल इंफेक्शन के कुछ मामले सामने आए हैं। पंजाब, राजस्थान समेत कई राज्यों ने पहले ही ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। ऐसे में व्हाइट फंगस के नए मामलों ने सरकारी और मेडिकल स्तर पर चिंताओं में इजाफा किया है।
आइए इसके बारे में कुछ अहम बातों को जानते हैं-
व्हाइट फंगस के बारे में पता कैसे चला?
जी न्यूज में प्रकाशित रिपोर्ट में पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसएन सिंह के हवाले से बताया गया है कि चारों मरीजों में कोविड-19 के लक्षण नजर आ रहे थे, लेकिन उनकी हर जांच नेगेटिव आ रही थी। डॉक्टर ने बताया कि मरीजों की गहन जांच करने पर पता चला कि वे व्हाइट फंगस का शिकार हो गए हैं। हालांकि, सभी मरीज फिलहाल एकदम स्वस्थ हैं और उन्हें एंटी-फंगल दवाएं दी गई हैं।
क्या व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक है?
स्वास्थ्य के जानकारों के अनुसार, ब्लैक फंगस की तुलना में व्हाइट फंगस ज्यादा घातक है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ऐसा इसलिए क्योंकि यह केवल फेफड़े ही नहीं, बल्कि नाखून, त्वचा, पेट, किडनी, दिमाग, निजी अंग और मुंह को भी प्रभावित करता है।
व्हाइट फंगस के लक्षण क्या हैं और कौन इस संक्रमण के ज्यादा जोखिम में है?
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर्स बताते हैं कि इस दुर्लभ फंगल बीमारी के लक्षण कोरोना वायरस संक्रमण की तरह ही हैं। चूंकी, यह सीधे फेफड़ों पर हमला करता है, तो इस बीमारी का पता HRCT टेस्ट कर भी लगाया जा सकता है। कम इम्युनिटी वाले लोगों को इस फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा है। इसके अलावा डायबिटीज जैसी बीमारियों या लंबे समय से स्टेरॉयड ले रही मरीजों को व्हाइट फंगस का शिकार होने की संभावना ज्यादा है।
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस को महामारी बीमारी अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाने की अपील की थी। फिलहाल, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, असम और ओडिशा ने इस अधिनयम के तहत ब्लैक फंगस को अधिसूचित किया है। भाषा के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस को महामारी घोषित किया जाएगा। उन्होंने अस्पतालों से आग्रह किया कि वे कोविड-19 के उपचार में स्टेरॉइड दवाओं का नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करें।
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