इन्दौर। 25 मई को पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर होने वाले आरक्षण में सभी वार्डों का आरक्षण न करते हुए कुछ वार्डों में ही आरक्षण को लेकर पर्ची डाली जाना है। बताया जा रहा है कि मात्र तीन वार्डों को अनारक्षित कर दिया जाएगा। ये तीन वार्ड कौन-से होंगे, इसकी जानकारी भी 25 मई को ही लग पाएगी, वहीं नगर परिषदों की सीटों के आरक्षण में भी फेरबदल हो सकता है।
इंदौर में पिछले वार्ड आरक्षण के मुताबिक अनुसूचित जनजाति के लिए 3 सीटें आरक्षित रखी गई हैं। इन वार्डों में अजा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है, वहीं अनुसूचित जाति के लिए 13 वार्ड आरक्षित किए गए हैं तो पिछड़ा वर्ग के लिए 21 वार्ड आरक्षित हैं। इसके साथ ही अनारक्षित वार्डों की संख्या 48 है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसके अनुसार अब वार्ड आरक्षण किया जाना है और इसके लिए सरकार ने 25 मई की तारीख तय की है।
सरकार ने जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में भेजी है, उसका आधार ट्रिपल टेस्ट बनाया गया है, जिसमें उस वार्ड में रहने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से उस वार्ड को ओबीसी घोषित कर वहां लॉटरी डाली जाएगी। हालांकि जो रिपोर्ट सरकार ने पेश की थी, उस पर भी सवालिया निशान ही है, क्योंकि 2011 की जनसंख्या के अनुसार रिपोर्ट बनाई गई, जबकि 11 साल बाद कई वार्डों में हर वर्ग के लोगों की संख्या बढ़ी है। अब उसी के अनुसार आरक्षण किया जा रहा है। जो आदेश आए हैं, उसके अनुसार शहर में तीन वार्ड ओबीसी वर्ग से छीने जा सकते हैं।
इनके वार्ड बढऩे की बजाय घटेंगे। किन वार्डों में आरक्षण होगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता भी असमंजस में हैं और अपने-अपने सूत्रों से पता करने में लगे हैं कि किन-किन वार्डों में समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। अभी तक राजनीतिक विश्लेषक भी समझ नहीं पाए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आरक्षण पर कितना असर होगा? वहीं महापौर के आरक्षण को लेकर भी अभी स्थिति अधर में हैं तो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष महापौर चुनने के मामले में भी भाजपा में दो गुट बन गए हैं।
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