उज्जैन। कोरोना काल में कुछ निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और इसे मात्र एक महामारी का प्रकोप नहीं कहा जा सकता..जिला प्रशासन को जाँच करानी चाहिए कि उज्जैन के 40 से अधिक निजी अस्पतालों में कोरोना के अप्रैल-मई के प्रकोप के दौरान किन अस्पतालों में सबसे अधिक मौत हुई है और वहाँ की जाँच होना चाहिए। कई अस्पतालों में कोरोना की जानकारी रखने वाले डॉक्टर नहीं थे।
हाईडोज की दवाओं के कारण एकाएक लोगों की तबीयत बिगड़ी और कुछ घंटे में ही वह जान गंवा बैठे, परिजनों के अनुसार उनकी तबीयत ठीक थी। कोरोना के गंभीर मरीजों का ईलाज हर कोई कर रहा था और जिन अस्पतालों में दो से तीन बेड थे वहाँ कोरोना का ईलाज चल रहा था। ऋषिनगर में तो ऐसे ही एक कमाउंडर और नर्स ने घर पर ही पलंग डालकर कोरोना पेशेंट भर्ती कर लिए थे। शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी। लेकिन अन्य निजी अस्पतालों के खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा। एक अनुमान के अनुसार कोरोना की लहर जब पीक पर थी तब कुछ निजी अस्पतालों में एक दिन में 15 से 20 लोगों ने दम तोड़ा है और यदि मरने वालों का सही आंकड़ा निकाल जाए तो संख्या चौकाने वाली होगी। यह भी सही है कि कोरोना से हुई मौतों के बीच ईलाज न मिलने के अलावा गलत दवाई का कारण भी प्रमुख है। 30 हजार के इंजेक्शन कई डॉक्टर लिख रहे थे और उन्हें लगाने के बाद मरीज को ठंड लगती तथा कुछ देर में उसकी मौत हो जाती थी। इसका मतलब यह है कि इन बूस्टर इंजेक्शनों को लगाने के लिए जो सावधानी बरतनी थी वह नहीं बरती गई तथा लोगों की जान गई। रेमडेसिविर इंजेक्शन भी किसी को 15 लगे तो किसी को 6 लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को नहीं बचाया जा सका। अब मामला सब ठंडा हो गया है लेकिन तीसरी लहर की बात की जा रही है तो उसमें ऐसे हादसे न हो इसकी सावधानी जरूरी है।
तीसरे दिन भी उज्जैन में सिर्फ एक कोरोना पॉजिटिव केस
उज्जैन। पिछले तीन दिन जिलेवासियों के लिए कोरोना संक्रमण के लिहाज से राहत वाले बीते है। इन तीन दिनों में रोजाना एक-एक मरीज ही पॉजिटिव आया है। कल शाम को भी उज्जैन शहर में एक नया मरीज मिला है। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते उज्जैन जिले में एक्टिव रह गए मरीजों का आंकड़ा तेजी से नियंत्रण में आ रहा है। इतना ही नहीं रोज शाम जारी होने वाली स्वास्थ्य बुलेटिन में भी कोरोना के मरीज तीन दिन से एक-एक मिल रहे हैं। कल शाम भी 1098 सेंपलों की जांच में से सिर्फ एक कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला।
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