• img-fluid

    ‘सोशल मीडिया’ किस दल में कितना दम?

  • January 11, 2022

    – प्रभुनाथ शुक्ला

    पांच राज्यों में राज्य विधानसभा चुनाव घोषित हो गए हैं। चुनाव आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीख भी सुनिश्चित कर दिया है। चुनाव बेहद नाजुक दौर में हो रहा है। जब पूरी दुनिया महामारी की चपेट में है उस स्थित में चुनाव करना कितना जायज है यह भी अपने आप में सवाल है। आम चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद है और जनता का अधिकार भी। दुनिया के किसी भी देश के लिए सत्ता और सरकार चुनने का यह माध्यम सबसे निष्पक्ष और पारदर्शी है। लेकिन कोविड-19 के दौर में लोगों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना होगा। चुनाव आयोग ने अपनी गाइड लाइन में कोविड प्रोटोकॉल का विशेष ख्याल रखा है।

    चुनाव आयोग ने पंजाब, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और राजनीतिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के नए नियम बनाए हैं। जिसमें 15 जनवरी तक कोई भी राजनीतिक दल रोड शो, रैली नहीं कर सकता है। यहां तक कि नुक्कड़ सभा और पदयात्रा पर भी रोक होगी। सिर्फ डोर-टू-डोर मिलने की अनुमति दी गई है। ऑनलाइन नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। अत्यधिक बुजुर्ग मतदाताओं के लिए घर से ही वोटिंग करने का फैसला लिया गया है। लेकिन इस हालात में लोकतंत्र की मूल भावना कहीं ना कहीं से प्रभावित होगी। क्योंकि जनसभाओं के माध्यम से जो बात जनता तक पहुंचती है वह वर्चुअल मंच के जरिए संभव नहीं है।

    यह बात सच है कि देश में शिक्षा और संचार क्रांति की वजह से वर्चुअल दुनिया ने नया आयाम लिया है। कोविड काल में यह मंच सबसे सुरक्षित और प्रभावशाली साबित हुआ है। राजनीतिक दल बदले माहौल में इसका कितना अधिक उपयोग कर सकते हैं यह देखना होगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तकरीबन 25 लाख मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 18 करोड़ से अधिक लोग अपना वोट डालेंगे। तकरीबन 10 करोड़ पुरुष और 8 करोड़ 50 लाख महिला मतदाता होंगी। 690 पोलिंग बूथों पर मतदान की प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी। 50 हजार से अधिक केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी। पंजाब में 117, गोवा में 40 मणिपुर में 60 और उत्तराखंड में 70 सीटों पर मतदान होगा। जबकि उत्तर प्रदेश में 403 सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव संपन्न होंगे। 1620 महिला पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। संक्रमण को देखते हुए एक पोलिंग बूथ पर सिर्फ 1250 मतदाता अपने वोट डाल पांएगे।

    हालांकि जिन परिवारों ने दूसरी लहर का सामना किया है और अपने किसी प्रिय परिजन को खोया है ऐसे परिवार किसी भी कीमत में संक्रमण का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। ऐसे हालात में चुनाव आयोग को ऑनलाइन वोटिंग पर भी विचार करना चाहिए। जब वर्चुअल सभाएं हो सकती हैं तो ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती। महामारी की स्थिति को देखते हुए चुनाव आयोग को इस पर बहुत पहले से ही निर्णय लेना चाहिए था। लोकतंत्र के उत्सव का महानायक मतदाता है, उसकी जान को जोखिम में डालकर चुनाव संपन्न कराना कितना जायज है। इसका जवाब राजनीतिक दल और आयोग ही दे सकता है। लेकिन इसका प्रभाव वोटिंग पर साफ दिख सकता है। मतदान में गिरावट आ सकती है।

    प्रचार माध्यम में जहां तक वर्चुअल मंच की बात है उसमें भारतीय जनता पार्टी सबसे नंबर वन है। भाजपा का आईटी सेल बहुत ही मजबूत और जमीनी स्तर पर काम करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और और कार्यकर्ता सोशल मीडिया मंच पर सक्रिय रहते हैं। फेसबुक, टि्वटर, यू-ट्यूब, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम पर पार्टी के लाखों लाख फॉलोअर्स हैं। भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी अधिक सक्रिय हैं। सपा में सिर्फ अखिलेश यादव खुद ही वर्चुअल मंच पर सक्रिय दिखते हैं।

    एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने डेढ़ लाख पन्ना और बूथ प्रमुखों को व्हाट्सऐप ग्रुप से जोड़ रखा है। पार्टी ने 2016 में ही हर उस उम्मीदवार के लिए शर्त रखी थी कि जो भी पार्टी का टिकट चाहेगा सोशल मीडिया पर उसके लिए 25 हजार फॉलोअर्स होने चाहिए। भाजपा की केंद्रीय इकाई से एक करोड़ 73 लाख लोग वर्चुअल प्लेटफार्म से जुड़े हैं। एक करोड़ 58 लाख फेसबुक पर 42 लाख इंस्टाग्राम और 40 लाख यूट्यूब पर हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में 49 लाख से अधिक लोग फेसबुक पर हैं। 78 लोग इंस्टाग्राम पर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास 1 करोड़ 68 लाख फॉलोअर्स हैं। उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के पास 22 लाख और केशव प्रसाद मौर्य से 33 लाख लोग जुड़े हैं।

    सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी से है। ट्विटर हैंडिल और फेसबुक पर उसके 28 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से एक करोड़ 58 लाख लोग जुड़े हैं। जबकि रामगोपाल यादव के पास 1 लाख 38 हजार और शिवपाल यादव के पास सबसे कम 7 लाख 50 हजार फॉलोअर्स हैं। देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी रहीं कांग्रेस के पास 84 लाख फॉलोअर्स राष्ट्रीय स्तर पर हैं जबकि राज्य इकाई के पास सिर्फ 4 लाख 60 हजार लोग जुड़े हैं। फेसबुक पर 57 लाख 62 हजार, इंस्टाग्राम 10 लाख और यूट्यूब 17 लाख लोग हैं।

    कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी के पास 44 लाख लोग हैं। उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के पास तकरीबन दो लाख फॉलोअर्स हैं। जबकि पीएल पुनिया के पास एक लाख 31 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास तकरीबन दो करोड़ फॉलोअर्स हैं। उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो वह सोशल मीडिया से काफी दूरी बनाए रखती है। ट्विटर हैंडल पर उसके ढाई लाख से कम फॉलोअर्स हैं।

    बसपा का फेसबुक पेज अधिकृत रूप से अभी वेरीफाइड नहीं है उस पर केवल 12 हजार लोग जुड़े हैं। पार्टी के ट्विटर हैंडिल पर समर्थकों की संख्या दो लाख 42 हजार है। बसपा मुखिया मायावती के पास सिर्फ 23 लाख फॉलोअर्स हैं। पार्टी के ब्राह्मण नेता कहे जाने वाले सतीश मिश्र के पास सिर्फ 40 हजार समर्थक हैं। सम्बंधित आंकड़ों को देखने से यह साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी अपने सभी प्रतिद्वंदी दलों में वर्चुअल दुनिया में सबसे अधिक मजबूत है। अब सियासी जमीन पर कौन किस पर कितना भारी पड़ेगा यह वक्त बताएगा।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

    Share:

    बैंक कर्मचारी अगले महीने 23 और 24 फरवरी को फिर करेंगे हड़ताल

    Tue Jan 11 , 2022
    नई दिल्ली। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक कर्मचारी (Public and private sector bank employees) 23 और 24 फरवरी को एक बार फिर हड़ताल (Strike again on 23rd and 24th February) करेंगे। सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स (सीटीयू) (Central Trade Unions (CTU)) और ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) (All India Bank Employees Association (AIBEA)) सहित अन्य […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शनिवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved