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    2023 के महासंग्राम में कैंट विधानसभा में किस ब्रम्हास्त्र का प्रयोग करेगी कांग्रेस

  • April 28, 2023

    • यामिनी, जगत बहादुर सिंह अन्नू, अभिषेक या फि र आलोक कौन होगा कैंट का कप्तान

    जबलपुर। जबलपुर की कैंट विधानसभा बीजेपी की सबसे मजबूत सीट है और यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि महाकोशल से सबसे मजबूत सीट जबलपुर से आने वाली कैंट विधानसभा ही है । फिलहाल इस सीट से 2013 से लगातार भाजपा के विधायक अशोक रोहाणी जनता की सेवा में जुटे हैं तो उनके पहले उनके पिता स्वर्गीय ईश्वरदास रोहाणी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। केंट की जनता का विश्वास रोहाणी परिवार के लिए या बीजेपी के लिए बीते 3 दशकों से देखा जा रहा है। बीते तीन दशकों से कैंट की सीट कांग्रेस पार्टी के लिए दूर की कौंडी साबित हो रही है ।

    क्या इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव मे किसी करिश्मे की उम्मीद की जा सकती है 2023 विधानसभा चुनाव में यह हो सकते हैं कैंट विधानसभा से इंपैक्टफु ल दावेदार

    • सबसे पहला नाम : यामिनी अन्नू सिंह
      कैंट विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल बीते 3 दशकों में किसी भी महिला उम्मीदवार को कांग्रेस ने या बीजेपी ने इस सीट से नहीं उतारा है । चुनावी पंडितों की मानें तो कैंट के ज्योतिषी गणना के मुताबिक 1 महिला उम्मीदवार इस सीट पर अपना प्रभाव छोड़ सकती हैंएएए फिलहाल कोई भी बड़ा चेहरा कांग्रेस की ओर से इस विधानसभा सीट में कुछ खास नहीं कर पाया है । महापौर जगत बहादुर सिंह की पत्नी यामिनी अन्नू सिंह का नाम इस विधानसभा सीट से जमकर चर्चाओं में है। जानकारी के मुताबिक यामिनी अन्नू सिंह का चुनाव लडऩा और दावेदारी दोनों ही कुछ मजबूत समीकरणों के आधार पर है। कहने को कैंट विधानसभा से उम्मीदवारों की कमी तो नहीं है लेकिन जिताऊ चेहरों पर ही पार्टी अब मंथन करेगी। सामाजिक छवि के साथ.साथ यामिनी अन्नू सिंह का औरा नगरीय निकाय इलेक्शंस में काफी बढ़ गया है । अपने पति के लिए हर विधानसभा में घर.घर दस्तक देकर यामिनी ने एक नई भूमिका निभाई थी । कहने को वे पार्षद रह चुकी हैं इस लिहाज से राजनीति का अनुभव उनके पास है इसके साथ ही उनके पति याने महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू का सपोर्ट उनकी ताकत को दोगुना कर सकता है।

    • दूसरा नाम : जगत बहादुर सिंह अन्नू
      नगरीय निकाय चुनाव में करिश्मा कर दिखाने वाले महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगे, इस बात की भी जमकर चर्चाएं हैं। चुनाव लडऩे के पीछे का उनका मजबूत आधार उनका स्वभाव और जन सामान्य में उनकी स्वीकारता है । इसके पहले धार्मिक आयोजनों में भी जगत बहादुर सिंह अन्नू का नेतृत्व और कैंट से आने वाले अधिकांश लाभार्थियों का उनके साथ पारिवारिक रिश्ता उन्हें कैंट से माइलेज दे सकता है। कहने को जगत बहादुर सिंह अन्नू फिलहाल शहर के प्रथम नागरिक हैं इसलिए उनसे कोई भी विधानसभा अछूती नहीं है । कैंट में भी उनकी खासी पकड़ है और नगरीय निकाय से मिली जीत और आम जनता और वोटरों का भरोसा उन्हें कैंट से मजबूत दावेदारी पेश करने के लिए आगे कर रहा है । जगत बहादुर सिंह अन्नू का कांग्रेस की ओर से कैंट विधानसभा से चुनाव लडऩा कई मायनों में फायदेमंद भी है । पहला तो यह की सिटिंग महापौर होते हुए चुनाव लडऩा और आम जनता के बीच पहुंचने से पार्टी को फायदा होगा, दूसरा . मजबूत नेतृत्व के साथ लगातार बीजेपी की ओर से चुनावी मैदान में उतर रहे अशोक रोहाणी के लिए यह सबसे दमदार प्रतिद्वंदी साबित हो सकते हैं।
    • तीसरा नाम : आलोक मिश्रा
      कैंट से भले ही चुनाव हार चुके आलोक मिश्रा अब तक जीत का स्वाद न चख पाए हो लेकिन इस बार भी वे कैंट से अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने में नहीं चूकेंगे। इतिहास के पन्नों में भले ही उनके नाम पर हार दर्ज हुई हो लेकिन इस बार वे पार्टी के पक्ष में समीकरणों को देख रहे हैं । हर बार विधानसभा चुनाव में वे रोहाणी परिवार को टक्कर तो देते आए हैं लेकिन कहीं न कहीं कोई चूक कांग्रेस के पक्ष में हार ही लेकर आई । उनके मुताबिक इस बार कैंट के समीकरण बदले हुए हैं और 2023 का इलेक्शन कांग्रेस पार्टी के लिए कैंट से बदलाव लेकर आ सकता है। कैंट विधानसभा का पूरा क्षेत्र उनसे अछूता नहीं है वार्ड से लेकर संपूर्ण विधानसभा में उन्होंने अपनी पकड़ बनाई है और इस बार उन्हें उम्मीद है कि जनता उनका साथ जरूर देगी। बहरहाल पार्टी आलाकमान को तय करना है कि क्या तीसरी बार आलोक मिश्रा को कांग्रेस कैंट विधानसभा से टिकट देती है या नहीं। वे चुनाव पूर्व ही इलेक्शन मोड में दिख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने केंट विधानसभा में आबादी के पट्टों का मुद्दा एक बार फिर उठाया है जिसे भाजपा सरकार हर बार चुनावी मुद्दा बनाती है लेकिन गरीबों को आज तक पट्टे वितरित नहीं किये जा सके।
    • चौथा नाम: अभिषेक चिंटू चौकसे
      एक युवा चेहरे के साथ.साथ लंबे समय से कैंट की राजनीति में सक्रिय रहे अभिषेक चिंटू चौकसे टिकट की दरकार लिए बैठे हैं । पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट पाने की दहलीज तक पहुंच चुके अभिषेक एक बार फिर टिकट पाने से चूक गए थे लेकिन इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि पार्टी उनके नाम पर ही बतौर उम्मीदवार मुहर लगाएगी। लंबे समय से कैंट उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी को संभाल रहे अभिषेक संपूर्ण विधानसभा से नेतृत्व क्षमता के साथ अपनी कार्यकुशलता के दम पर अपनी दावेदारी को पेश कर रहे हैं और फिलहाल उनका रिपोर्ट कार्ड किसी भी लिहाज से उन्हें टिकट की दावेदारी में पीछे नहीं छोड़ता। चुनावी कैरियर को देखें तो भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए चिंटू अब तक जितने भी चुनाव लड़े हैं उन्हें जीत ही मिली है। लेकिन पार्टी ने अब तक किसी बड़े चुनाव में उन्हें मैदान में नहीं उतारा है। बहरहाल कैंट की जनता के बीच कई बड़े आयोजनों के साथ-साथ हर वर्ग को साधने में अभिषेक ने कोई कमी नहीं छोड़ी है और पार्टी उनके नाम पर भी मंथन कर सकती है ऐसी चर्चाएं जोरों पर है। अभिषेक पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के करीबी भी हैं ऐसे में इस बार उनकी किस्मत चमके ऐसी भी चर्चा है।

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