वाशिंगटन । अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति (Newly elected president of america) जो बाइडन (Biden) से चीन (China) के खिलाफ अमेरिका के सहयोगियों को मजबूती, बहुपक्षीय और प्रभावी तरीके से साथ लाने के संकल्प को पूरा करने की उम्मीद है। ओटावा सिटीजन जर्नल में टेरी ग्लेविन लिखते हैं कि फरवरी में बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को हत्यारा कहा था जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चिनफिंग को महान नेता बताया था।
इसके अलावा बाइडन ने हांगकांग और झिंजियांग में चीनी राष्ट्रपति के हिंसात्मक रुख के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहराने का भी समर्थन किया था। ग्लेविन कहते हैं कि चीन द्वारा उइगरों को सामूहिक रूप से जेल में डालने और उइगर संस्कृति नष्ट किए जाने को बाइडन ने नरसंहार करार दिया था। जबकि ट्रंप ने दो साल पहले कहा था, ‘राष्ट्रपति शी और मैं हमेशा दोस्त रहेंगे.. वह चीन के लिए हैं और मैं अमेरिका के लिए, लेकिन इसके अलावा हम एक दूसरे को प्यार करते हैं।’
अब अमेरिका और दुनिया के उदार लोकतंत्र शी चिनफिंग के आक्रामक रुख और बर्बरता के खिलाफ साथ आ रहे हैं। इसके लिए मुद्दे हांगकांग और झिंजियांग के बारे में रहे हैं जहां चीन आतंक का शासन चला रहा है जिसका मकसद तुर्क मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यकों को गुलाम बनाना और उनका सफाया करना है। इसके अलावा चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसियों का अधिग्रहण, विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में हेरफेर और एक के बाद एक देश में उसकी बंधक कूटनीति भी मुद्दे रहे हैं।
बीते दिनों एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत भी अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति जो बाइडन की भावी चीन नीति का इंतजार करना चाहेगा। कई देशों में राजदूत रह चुके विष्णु प्रकाश के हवाले से उस रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन सैन्य ताकत में अमेरिका के बराबर है। इतना ही नहीं वह सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक, कारोबार में भी तेजी के साथ अमेरिका की बराबरी में खड़ा होने की स्थिति में है। ऐसे में भारत के साथ अमेरिका की दोस्ती हर मोर्चे पर उसके हित में रहेगी।
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