नई दिल्ली। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है और इसके विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत लोग सरकारी कार्यालयों में लिव-इन या तलाक के मामले रजिस्टर भी कराने लगे हैं। लेकिन लोगों को इस बात की आशंका है कि उनकी निजी सूचनाओं के लीक हो जाने से इसका गलत असर पड़ सकता है। लोग इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं। विशेषकर लिवइन जैसे मामलों में जहां जोड़े अपने बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं करना चाहते, वहां लोगों की आशंका बहुत ज्यादा सामने आ रही है।
लेकिन उत्तराखंड सरकार के द्वारा लोगों की आशंका को दूर करने के लिए यह स्पष्ट किया गया है कि यूसीसी के अंतर्गत सरकारी कार्यालयों में किये गए रजिस्ट्रेशन की पूरी जानकारी गोपनीय रहेगी। इस तरह किए गए किसी भी रजिस्ट्रेशन की जानकारी केवल संबंधित पक्षों को ही दी जा सकेगी। यूसीसी की किसी भी सेवा के लिए दी जाने वाली निजी जानकारी (नाम, पता, मोबाइल, आधार नंबर, धर्म, जाति आदि) का विवरण किसी भी स्तर पर सार्वजनिक नहीं होगा। यहां तक कि किसी मामले की जानकारी किसी थाने में पुलिस के अधिकारियों तक को नहीं होगी।
जानकारी के अनुसार, इन विभागों में किए जा रहे रजिस्ट्रेशन की कुल संख्या ही सार्वजनिक की जा सकती है, इससे अधिक जानकारी इन विभागों के द्वारा भी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी। विशेष परिस्थिति में किसी न्यायिक कार्य के लिए किसी की विशेष जानकारी चाहिए तो यह जानकारी लेने के पूर्व जिले के स्तर पर सर्वोच्च पुलिस अधिकारी की लिखित अनुमति के बाद ही ऐसा किया जा सकेगा।
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