नई दिल्ली: कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता का बड़ा श्रेय कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को दिया था. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जिन 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी, उनमें से 15 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के परिणाम रविवार को आए.
‘भारत जोड़ो यात्रा’ कई दिनों तक मध्य प्रदेश में रही थी, लेकिन इसका चुनावी असर ज्यादा नहीं हुआ. परिणाम के लिहाज से देखें तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में जिन क्षेत्रों से गुजरी, वहां पार्टी को नुकसान ही हुआ. यात्रा मार्ग की बहुत सी सीटों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. कुछ सीटें तो कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती थीं, लेकिन सब पर हार मिली.
राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस ने पिछले साल सात सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाली थी. करीब 4 हजार किलोमीटर की पदयात्रा का इस साल 30 जनवरी को श्रीनगर में समापन हुआ था. यह यात्रा मध्य प्रदेश में बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर-मालवा जिले से होकर गुजरी थी.
राहुल गांधी की यात्रा बुरहानपुर से शुरू हुई थी. यहां भाजपा की अर्चना चिटनिस ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह शेरा को 31 हजार से ज्यादा मतों से हराया. सुरेंद्र सिंह शेरा ने पिछली बार जीत दर्ज की थी. वहीं, नेपानगर सीट पर 2018 में कांग्रेस की सुमित्रा कासडेकर चुनाव जीती थीं. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं. सुमित्रा कासडेकर ने उपचुनाव में भी जीत दर्ज की. इस बार भाजपा ने मंजू राजेंद्र दादू को टिकट दिया, जिन्होंने कांग्रेस की गेंदू बाई को 44 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी. खंडवा के पंधाना में पिछली बार भी भाजपा जीती थी और इस बार पार्टी प्रत्याशी छाया मोरे ने कांग्रेस की रूपाली जैन को 28816 वोटों से हराया.
खंडवा की ही मांधाता विधानसभा सीट से 2018 में कांग्रेस के नारायण पटेल जीते थे. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीते. इस बार भाजपा ने उन्हें फिर मैदान में उतारा. उन्होंने कांग्रेस के उत्तम राजनारायण सिंह पुरनी को पछाड़ दिया.
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